एक सुंदर शहर , जिसे धर्मनगरी नाम से भी जानते थे। उस धर्मनगरी में एक सुंदर जिनमंदिर था। जिनमंदिर में श्रावक का आना जाना स्वाभाविक है, और मंदिर में मुनिराज आये तो सोनें पे सुहागा। मंदिर में मुनिराज प्रवचन दे रहे थे इसलिए मंदिर में श्रावकों की भीड़ थी। मंदिर के अंदर प्रवचन चल रहा था, और बाहर रास्ते से एक गाय अपने बछड़े के साथ जा रही थी।
बछड़े के आँखों में आँसु आये और उसने माँ से कहा— माँ ये सब सुननें वाले जैन है, ये सब अहिंसा वादी है। ये कभी हिंसा नहीं करते तो ये सब झूठ है माँ। ये सब झूठ है!‘‘