मैंने पाया है कि बच्चे और पशु चूँकि वे खुले दिल के होते हैं, वे अपने चारों ओर जो बड़े बुजुर्ग लोग होते हैं, उनसे प्रभावित होते हैं अतएव जब आप बच्चों या पालतू पशुओं के साथ काम कर रहे हों, तो उनकी चेतना को साफ करने के साथ ही उनके माता—पिता, अभिभावक, रिश्तेदार, टीचर की चेतना को भी साफ करें। आप मेटापिजिकल (पराभौतिकीय) शब्द पर ध्यान दें, जिसका अर्थ है शारीरिक कारण से परे, पर मानसिक कारणों पर ध्यान देना। उदाहरण के तौर पर, यदि मेरे पास कोई क्लाइंट कब्जियत की समस्या लेकर आता है, तो मैं अंदाजा लगाऊंगी कि उसका विश्वास कुछ सीमाओं में और कमियों में है, इसलिए मानसिक रूप से वह डरा रहता है व किसी चीज को बाहर नहीं निकले देना चाहता, क्योंकि उसे रिप्लेस नहीं कर पाएंगे। इसका अर्थ यह भी हो सकता है कि आप कोई पुरानी दर्दनाक यादों को अपने अंदर समेटे हुए हैं और उसे बाहर नहीं निकलने देना चाहते। आप उन संबंधों को नहीं तोड़ना चाहते, जिससे आप को कोई खुशी नहीं मिलती है, या ऐसा कोई जॉब जिसमें आपको संतोष नहीं मिलता या ऐसी कोई चीजें जिनका अब कोई उपयोग नहीं है, उन्हें निकाल फेंकना नहीं चाहते। आप संभवत: धर्म के बारे में थोड़े कृपण हैं। आपकी बीमारी मुझे आपके मानसिक रुख के बारे में सुराग देगी। मैं आपको यह बताना चाहूंगी, समझाना चाहूंगी कि बंद मुट्ठी और एक कड़ा रुख रखने की वजह से आप कोई भी चीज नहीं स्वीकार कर सकेंगे। मैं चाहूंगी कि आप ब्रह्मांड, जो सत्ता आपको एक—एक सांस प्रदान करती है, में और ज्यादा विश्वास का विकास करें जिससे कि जीवन के उतार—चढ़ाव के साथ आप सहजता से रह सकें। आपके अंदर जो डर के पैटर्न हैं, उनको मुक्त करने में आपकी मदद करूंगी और आपको सिखाऊंगी कि कैसे अपने मस्तिष्क का उपयोग करते हुए नए अच्छे अनुभवों का एक नया चक्र निर्माण करना है। मैं आपसे कह सकती हूं कि जाइये अपने घर और अपने अल्मारियों आदि की सफाई करिए और जितनी भी बेकार—फालतू चीजें हैं, जिनका अब कोई उपयोग नहीं है, उन्हें किसी दूसरे को दे दें या घर से बाहर निकाल दें और नई चीजें रखने के लिए घर में जगह बनाएं और वह सब करते हुए आप कहें कि ‘‘मैं यह सब पुरानी चीजों से छुटकारा पाने और नई चीजों को रखने के लिए ऐसा कर रहा हूं।’’ बहुत ही साधारण तरीका पर बहुत ही प्रभावी असरकार है। जैसे ही आप इस सिद्धान्त को समझने लगेंगे कि पुराने सामान को हटा देना है और उन्हें चले जाना देना है, तो आपका कब्ज, जो एक तरह से किसी चीज से चिपके रहना और उसे पकड़े रहना है, अपने आप ठीक हो जाएगा, आपका शरीर अपने आप से वह चीजें बाहर निकालकर फेंक देगा, जो सामान्य रूप से आपके लिए अब उपयोगी नहीं रह गई हैं। आपने नोट किया होगा कि कैसे मैंने बार—बार प्रेम शांति, आनंद और स्वयं अनुमोदन की धारणा का प्रयोग किया है। जब हम अपने हृदय से, अंदर से किसी को प्यार करेंगे, अपने आपको अनुमोदन करेंगे और दैविक सत्ता में विश्वास करेंगे कि वह हमारे भरण—पोषण में मदद करेगा, तब हमारा जीवन शांति और आनंद से भर जाएगा। हमारा लक्ष्य है कि हम एक हंसी—खुशी से भरा हुआ स्वास्थ्यप्रद जीवन व्यतीत करें और अपने साथ का लुत्फ उठाएं। प्रेम क्रोध को नष्ट कर देता है, आक्रोश को मुक्त कर देता है। भय को छिन्न कर देता है, प्रेम सुरक्षा प्रदान करता है। जब आप ऐसी जगह से आ रही हैं, जहां प्यार ही प्यार है और आप स्वयं प्यार से भरे हुए हैं, अपने को भी प्रेम करते हैं, तब आपके जीवन में हर चीज का स्वच्छंद और सरलता से प्रवाह होगा और आपका जीवन सामंजस्य, स्वस्थ आनंद और धन—धान्य से परिपूर्ण हो जाएगा। जब आपके अंदर कोई शारीरिक समस्या हो तो इस पुस्तक को उपयोग में लाने का अच्छा तरीका इस प्रकार है—
१.मानसिक कारणों की ओर ध्यान दें। क्या यह आपके लिए सच है ? यदि नहीं तो शांति से बैठ जाएं और स्वयं से पूछें, ‘‘हमारे अंदर क्या सोच है, जिससे यह समस्या उत्पन्न हुई ?’’
२. अपने आप दोहराते रहें (हो सके तो जोर—जोर से), ‘‘मैं अपनी चेतना से अस्पष्ट विचार के पैटर्न को बाहर निकालकर फेंक देना चाहता/चाहती हूं। जो मेरी इस दशा के लिए जिम्मेदार है।
३. नई ‘सोच—विचार’ को बार—बार दुहराएं—कई बार।
४.यह मान कर चलें कि आपका हीलिंग प्रॉसेस या उपचार शुरू हो गया है। जब भी आप अपनी दशा के बारे में सोचें, ऊपर दिए गए उपायों पर अमल करें। यह अंतिम ‘ध्यान’ प्रतिदिन करने से आपकी चेतना में एक स्वस्थता आएगी, जो आपके शरीर को भी स्वस्थ रखेगी।