तर्ज-मैंने तेरे ही भरोसे………..
प्रश्न – सुनो सुनो रे सखी री मेरी बात, चौमासा किसे कहते हैं?
बतला दो मुझे आज यह बात, चौमासा किसे कहते हैं?
उत्तर – मैंने सुनी है सखी री ऐसी बात, चौमासा साधु करते हैं।
वर्षाऋतु में होती है बरसात, हिंसा से साधु बचते हैं।।
प्रश्न – कौन-कौन से मास हैं इसके, मुझको सखी बताओ।
बोलो क्या-क्या लाभ हैं इसके, यही मुझे समझाओ।।
ताकि पाऊँ मैं भी उसका लाभ, चौमासा किसे कहते हैं।।सुनो.।।
उत्तर – मास अषाढ़ जुलाई से, दीवाली तक चौमासा है।
सोलहकारण दशलक्षण, पर्वों का इससे नाता है।।
श्रावक लेते हैं गुरुओं से धर्मलाभ, चौमासा सार्थक करते हैं।।मैंने.।।
प्रश्न – साधु और साध्वी की क्या, पहचान सहज में बतलाओ।
संघ चतुर्विध किसे कहा, जाता है सबको समझाओ।।
किनके दर्शन से मिलता है पुण्यलाभ, चौमासा किसे कहते हैं।।सुनो.।।
उत्तर – मोरपंख की पिच्छीयुत, जो मुनी आर्यिका कहलाते।
क्षुल्लक और क्षुल्लिका भी, साधू की श्रेणी में आते।।
ये चारों ही करते हैं चातुर्मास, इनके ही संघ में रहते हैं।।मैंने.।।
प्रश्न – इन गुरुओं के दर्शन की, कैसी विधि आगम में आई।
क्या कह इनको नमन करें, यह बात जानने में आई।।
जिससे होवे मेरे मन का समाधान, चौमासा किसे कहते हैं।।सुनो.।।
उत्तर – तीन पुंज चावल के चढ़ाकर, नमन करो अति श्रद्धा से।
मुनियों को बोलो नमोस्तु, वंदामि कहो माताजी से।।
क्षुल्लक क्षुल्लिका को करो इच्छामि, ये सभी साधक होते हैं।।मैंने.।।
प्रश्न – ज्ञान हुआ कुछ बहन मुझे अब, यही विधी अपनाऊँगी।
अपने गुरुओं के चरणों में, जाकर शीश नमाऊँगी।।
नवधा भक्ती से मैं दूँगी आहार, जिनागम यही कहते हैं।।सुनो.।।
उत्तर – यही सार मानव जीवन का, इसे समझ सब समझ गई।
बाकी सब निस्सार जगत में, गुरु संगत जब प्राप्त हुई।।
करो इसीलिए भक्ति दिन रात, चौमासा साधु करते हैं।।मैंने.।।
प्रश्न – कई दिनों से सुना था मैंने, गुरुवर यहाँ पे आएँगे ।
अपने संघ सहित वे तो , चौमासा यहाँ रचाएँगे ।।
मैंने पूछी है तभी तो कुछ बात, चौमासा किसे कहते हैं ।।सुनो.।।
उत्तर – इन मुनि एवं आर्यिकाओं में, ज्ञान का है भण्डार भरा ।
इनसे लाभ उठाने में, नहिं करना है अब देर जरा ।।
तभी बने ऐतिहासिक चातुर्मास, सभी से यही सुनते हैं ।।मैंने.।।
दोनों मिलकर- सभी बहन भाई मिल करके, जैनधर्म की जय बोलो।
गुरुओं के चातुर्मास में , सब मिल ज्ञानामृत ले लो।।
करें प्रतिदिन मंगलाचार, चौमासा इसे कहते हैं।।सुनो.।।
हर समाज के सब नर नारी मिल , गुरुओं से यह विनय करें।
पूर्णलाभ अब मिले हमें , ‘चन्दनामती’ बस यही कहें ।।।
सेवा करेंगे तुम्हारी दिन रात, चौमासा सफल करने को।।सुनो.।।
ऋषभ वीर की परम्परा , इन गुरुओं ने दर्शाया है।
उसका लाभ सभी को मिलने, का यह अवसर आया है।।
होंगे स्वप्न सभी साकार, ऐसी हम आशा करते हैं।
बोलो सब गुरु की जयजयकार, चरणों में श्रीफल धरते हैं।।सुनो.।।