जीवंधर कुमार ने मरते हुए कुत्ते को णमोकार मंत्र सुनाया।जिसके प्रभाव से कुत्ता मरकर देव गती में सुदर्शन यक्षेन्द्र हो गया। उसने वापस आकर जीवंधर कुमार को नमस्कार किया और स्तुति की।
एसो पंच णमोयारो , सव्वपावप्पणासणो।
मंगलाणं च सव्वेसिं , पढमं हवइ मंगलं।
अर्थ- ये पंच नमस्कार मंत्र सब पापों का नाश करने वाला है और सब मंगलो में पहला मंगल है।
शिष्य-गुरूजी! क्या हम लोग पांचों परमेष्ठी में से किसी का पद प्राप्त कर सकते हैंॽ
अध्यापक- हाँ आप लोग मनुष्य पर्याय से पाँचों परमेष्ठी के पद प्राप्त कर सकते हैं। देखो ! दिगम्बर मुनियों के संघ में आचार्य, उपाध्याय और साधु ये तीनों परमेष्ठी रहते हैं। ये ही मुनि आगे अर्हंत,सिद्ध भी बन सकते हैं।
द्वारा – उज्ज्वल जैन , बाराबंकी ( उ० प्र० )