तर्ज—झुमका गिरा रे……..
आरति करो रे, श्री त्रैकालिक चौबीसी जिन की आरति करो रे।टेक.।
भूतकाल के चौबिस जिनवर, तीर्थ अयोध्या में जन्मेें।
पुन: राज्यवैभव को तजकर, नग्न दिगम्बर मुनी बने।।
आरति करो, आरति करो, आरति करो रे,
केवलज्ञानी तीर्थंकर जिन की आरति करो रे।।१।।
वर्तमान की चौबीसी में, पाँच अयोध्या में जन्में।
शेष सभी तीर्थंकर अलग, अलग स्थानों में जन्में।।
आरति करो, आरति करो, आरति करो रे,
उन सब जिनवर की जन्मभूमि की आरति करो रे ।।२।।
भाविकाल के सब जिनवर, साकेतपुरी में जन्मेंगे।
धनकुबेर तब रत्नवृष्टि से, नगरी पावन कर देंगे।।
आरति करो, आरति करो, आरति करो रे,
महापद्म आदि चौबीसों जिन की आरति करो रे।।३।।
त्रैकालिक चौबीसी की, प्रतिमाएँ सभी बहत्तर हैं।
धर्मतीर्थ बतलाने से, इनको कहते तीर्थंकर हैं।।
आरति करो, आरति करो, आरति करो रे,
चेतन व अचेतन सब तीरथ की आरति करो रे।।४।।
तीनों सन्ध्याओं में जो, जिनवर की आरति करते हैं।
वही ‘‘चंदनामती’’ जगत में, तीन रत्न को वरते हैं।।
आरति करो, आरति करो, आरति करो रे,
रत्नत्रय संयुत सब जिनवर की आरति करो रे ।।५।।