आकांक्षा का अर्थ है कि तुम कुछ मांगने आये हो,
व भक्ति करने से कुछ मिलेगा, इसलिये श्रद्धान करते हो।
जबकि नि:कांक्षा का अर्थ है कि अब सब कुछ अर्पण करता हूं।
मेरा अपना कुछ भी नहीं है।
हृदय ही आपके चरणों में सौंप दिया।
अब मेरी कोई मांग नही है, अब मेरा कोई मन नहीं।
अब जो मर्जी हो, उस पूर्ण की मर्जी पर जीऊँगा।
अब मैं यह नहीं कहूंगा कि मेरी मर्जी अधूरी है।