-प्रज्ञाश्रमणी आर्यिका चन्दनामती
जन्मस्थान-टिवैâतनगर (बाराबंकी) उ.प्र.
जन्मतिथि-आसोज सुदी १५ (शरदपूर्णिमा) वि. सं. १९९१, (२२ अक्टूबर सन् १९३४)
जाति-अग्रवाल दि. जैन, गोत्र-गोयल, नाम-कु. मैना
माता-पिता-श्रीमती मोहिनी देवी एवं श्री छोटेलाल जैन
आजन्म ब्रह्मचर्य व्रत-ई. सन् १९५२, बाराबंकी में शरदपूर्णिमा के दिन
क्षुल्लिका दीक्षा-चैत्र कृ. १, ई. सन् १९५३ को महावीरजी अतिशय क्षेत्र (राज.) में आचार्यरत्न श्री देशभूषण जी महाराज से। नाम-क्षुल्लिका वीरमती
आर्यिका दीक्षा-वैशाख कृ. २, ई. सन् १९५६ को माधोराजपुरा (राज.) में चारित्रचक्रवर्ती १०८ आचार्य श्री शांतिसागर जी की परम्परा के प्रथम पट्टाधीश आचार्य श्री वीरसागर जी महाराज के करकमलों से।
साहित्यिक कृतित्व-अष्टसहस्री, समयसार, नियमसार, मूलाचार, कातंत्र-व्याकरण, षट्खण्डागम आदि ग्रंथों के अनुवाद/टीकाएं एवं लगभग ५०० ग्रंथों की लेखिका।
डी.लिट्. की मानद उपाधि-सन् १९९५ में अवध वि.वि. (पैâजाबाद) द्वारा एवं तीर्थंकर महावीर विश्वविद्यालय मुरादाबाद द्वारा ८ अप्रैल २०१२ को ‘‘डी.लिट्.’’ की मानद उपाधि से विभूषित।
तीर्थ निर्माण प्रेरणा-हस्तिनापुर में जंबूद्वीप, तेरहद्वीप, तीनलोक आदि रचनाओं के निर्माण, शाश्वत तीर्थ अयोध्या का विकास एवं जीर्णोद्धार, प्रयाग-इलाहाबाद (उ.प्र.) में तीर्थंकर ऋषभदेव तपस्थली तीर्थ का निर्माण, तीर्थंकर जन्मभूमियों का विकास यथा-भगवान महावीर जन्मभूमि कुण्डलपुर (नालंदा-बिहार) में ‘नंद्यावर्त महल’ नामक तीर्थ का निर्माण, भगवान पुष्पदंतनाथ की जन्मभूमि काकन्दी तीर्थ (निकट गोरखपुर-उ.प्र.) का विकास, भगवान पार्श्वनाथ केवलज्ञानभूमि अहिच्छत्र तीर्थ पर तीस चौबीसी मंदिर, हस्तिनापुर में जम्बूद्वीप स्थल पर भगवान शांतिनाथ-कुंथुनाथ-अरनाथ की ३१-३१ फुट उत्तुंग खड्गासन प्रतिमा, मांगीतुंगी में ऋषभगिरि पर निर्मित १०८ फुट उत्तुंंग भगवान ऋषभदेव की विशाल प्रतिमा, महावीर जी तीर्थ पर महावीर धाम में पंचबालयति मंदिर, शिर्डी में ज्ञानतीर्थ, सम्मेदशिखर में आचार्य श्री शांतिसागर धाम, कनॉट प्लेस-दिल्ली में चक्रवर्ती भगवान भरत ज्ञानस्थली तीर्थ इत्यादि।
महोत्सव प्रेरणा-पंचवर्षीय जम्बूद्वीप महामहोत्सव, भगवान ऋषभदेव अंतर्राष्ट्रीय निर्वाण महामहोत्सव, अयोध्या में भगवान ऋषभदेव महाकुंभ मस्तकाभिषेक, कुण्डलपुर महोत्सव, भगवान पार्श्वनाथ जन्मकल्याणक तृतीय सहस्राब्दि महोत्सव, दिल्ली में २४ कल्पद्रुम महामण्डल विधान का ऐतिहासिक आयोजन इत्यादि। विशेषरूप से २१ दिसम्बर २००८ को तत्कालीन राष्ट्रपति श्रीमती प्रतिभा देवीसिंह पाटील द्वारा जम्बूद्वीप-हस्तिनापुर में एवं २२ अक्टूबर २०१८ को तत्कालीन राष्ट्रपति श्री रामनाथ जी कोविन्द द्वारा मांगीतुंगी (महा.) में ‘विश्वशांति अहिंसा सम्मेलन’ का सूत्रपात।
विशेष उद्बोधन-१४ नवम्बर २०२१ को देश के राष्ट्रपति श्री रामनाथ जी कोविन्द द्वारा राष्ट्रपति भवन में उद्बोधन हेतु पूज्य माताजी ससंघ को आमंत्रण एवं अद्भुत व ऐतिहासिक समारोह का आयोजन।
शैक्षणिक प्रेरणा-‘जैन गणित और त्रिलोक विज्ञान’ पर अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी, राष्ट्रीय कुलपति सम्मेलन, इतिहासकार सम्मेलन, न्यायाधीश सम्मेलन एवं अन्य अनेक राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय स्तर के सेमिनार, इंटरनेट पर जैन इनसाइक्लोपीडिया आदि।
रथ प्रवर्तन प्रेरणा-जम्बूद्वीप ज्ञानज्योति (१९८२ से १९८५), समवसरण श्रीविहार (१९९८ से २००२), महावीर ज्योति (२००३-२००४), आचार्य श्री शांतिसागर सम्मेदशिखर ज्योति रथ (२०१४), भगवान ऋषभदेव विश्वशांति कलश यात्रा रथ मांगीतुंगी (२०१५) के दो रथों का भारत भ्रमण।
इस प्रकार नित्य नूतन भावनाओं की जननी पूज्य माताजी चिरकाल तक इस वसुधा को सुशोभित करती रहें, यही मंगल कामना है।