
| १. सम्यग्दर्शन ६० पृ. | २. व्यवहार-निश्चयनय ३८ पृ. |
| ३. निमित्त-उपादान ३९ पृ. | ४. चारों अनुयोगों की सार्थकता २१ पृ. |
| ५. पंचमकाल में मुनियों का अस्तित्व ३४ पृ. | ६. ग्रंथों के अध्ययन-अध्यापन की शैली २६ पृ |
| ७. ध्यान की आवश्यकता व स्वरूप ९ पृ. कुल-२२७ पृष्ठ |
| १. जातिस्मरण | २. धर्मोपदेश |
| ३. वेदनानुभूति | ४. जिनबिंब दर्शन। |
| १. नैगम | २. संग्रह |
|
३. व्यवहार
|
४. ऋजुसूत्र |
| ५. शब्द | ६. समभिरूढ |
| ७. एवं भूत (आचार्य उमास्वामी, तत्त्वार्थसूत्र)। |
| मिथ्यात्व, | अविरति, |
| प्रमाद, | कषाय, |
| योग |
