ओस की एक बूँद सी होती है बेटियाँ ,
सुबह कोयल सी चहके,शाम को ओझल हो जाती है बेटियाँ,
रोशन करेगा बेटा तो एक ही कुल को,दो—दो कुलों की लाज ढोती है बेटियाँ,
हीरा अगर है बेटा , तो मोती है बेटियाँ,
साथ छोड़ दे सभी तो छड़ी बन सहारा भी देती बेटियाँ,
दर्द दे कोई दवा बन मरहम भी करती है बेटियाँ
बोझ समझ बहुत तिरस्कार किया कमजोर समझकर बहुत तिरस्कार किया
फिर भी उसे प्यार समझ जहर का घूँट पी जाती है बेटियाँ,
पराया धन समझ कन्यादान कर देते हैं, कन्यादान महादान कर बैकुंठ पा लेते हैं,
देखो स्वर्ग का द्वार भी खोल देती है,बेटियाँ,
सूरज की तरह है बेटियाँ, जुगनू है, तितलिया हैं, कलेजा है बेटियाँ,
फुरसत मिले तो इनको पढ़कर भी देख लो, कुरान है, बाईबल है, गीता है, बेटियाँ,
बेटे तो अपनी बीवियों को लेकर चल दिए, बूढ़ो की लाठियाँ और कंधा है बेटियों।