माता पिता की सम्पदा, भाई का विश्वास दोनो कुल जगमग करें, बेटी स्वयं प्रकाश।
सजी—धजी है लाडली, खिली—खली ज्यों धूप।
माँ देखती बेटी में अपना ही प्रतिरूप बेटी चिट्टी लिख रही,
यह सुखमय हैं संसार माता–पिता ने पा लिए, हर तीरथ के द्वार।
बेटी घर की रोशनी, दोनों घर तक जाए।
अपने शील स्वभाव से, जग में यश फैलाय।
बेटी घर की रोशनी, आँगन की मुस्कान कस्तूरी मृग जिस तरह, जंगल का अभिमान।
राखी भेजे बेटियाँ,गूँथकर उसमें प्यार भाई—बहिन की प्रीत का, ये अनुपम संसार ।
बेटी है कुल तारिणी, कब समझेंगे आप। बेटों से प्यारे लगे, उनकों ये माँ —बाप।