-आर्यिका चन्दनामती
महाराष्ट्र की तीर्थ यात्रा, जिनशासन की है कीर्तियात्रा।
गणिनीप्रमुख ज्ञानमती माताजी की बनी ऐतिहासिक ये यात्रा।।महा.।।
एक बार सन् उन्निस सौ छ्यानवे में,
पंचकल्याणक हुआ मांगीतुंगी में।
दिव्यशक्ति बन तब माता पधारीं,
चौबीस प्रभु का उत्सव हुआ भारी।।
सहस्रवूâट कमलमंदिर जिनालय, कर्मयोगी रवीन्द्र जी ने बनाया।
महाराष्ट्र की तीर्थयात्रा, जिनशासन की है कीर्तियात्रा हो..।।१।।
उसी चमुर्मास में शदर पूर्णमा को,
मिली अन्तप्र्रेरण माता को।
एक सौ आठ फिट प्रतिमा बनाओ,
पूर्वमुखी ऋषभदेव प्रगटाओ।।
वह प्रेरणा ही, साकार होकर बन गई जिन संस्कृति की गाथा।
महाराष्ट्र की तीर्थयात्रा, जिनशासन की है कीर्तियात्रा हो..।।२।।
उत्सव महोत्सव का रेकार्ड बन गया,
गिनीज बुक में नाम दर्ज हो गया।
एक वर्ष महामस्तकाभिषेक हुआ,
सबने खूब पंचामृत अभिषेक किया।।
पुन: मातु श्री ने, मंगल विहार कर प्रारंभ की तीर्थयात्रा।
महाराष्ट्र की तीर्थयात्रा, जिनशासन की है कीर्तियात्रा हो..।।३।।
ध्यान लगाकर बात मेरी सुनलो भैय्या, मेरी सुनलो बहना,
माता की रोमांचक यात्रा।।टेक.।।
मांगीतुंगी से विहार कर, तीर्थ वंदना लक्ष्य बनाकर।
सारे संघ को साथ लेकर, वे तो चल दी भैय्या, मेरी सुनलो बहना,
माता की रोमांचक यात्रा।।१।।
नगर सटाणा मालेगांव में, कवलाना से नांदगांव में।
आचार्यकल्प श्री चंद्रसागर, जन्मभूमि में ये तो पहुँची भैय्या,
मेरी सुनलो बहना, माता की रोमांचक यात्रा।।२।।
फिर सिबूर देवगांवरंगारी, सज्जनपुर की भक्ति न्यारी।
एलोरा में पारसनाथ प्रभु का पंचामृत अभिषेक देखा सुनलो भैय्या
मेरी सुनलो बहना, माता की रोमांचक यात्रा।।३।।
फिर अड़गांव अडूल में जाकर, धर्मतीर्थ के भी दर्शन कर।
कचनेर तीर्थ की ओर माता चल दीं भैय्या, मेरी सुनलो बहना।
माता की रोमांचक यात्रा।।४।।
श्री कचनेर जी अतिशय क्षेत्र में, पार्श्वनाथ जिनवर के पास में।
दर्शन करके खुश हुई मात, मेरे सुनलो भैय्या, मेरी सुनलो बहना
माता की रोमांचक यात्रा।।५।।
पिम्पलबाड़ी से पैठण जाकर, मुनिव्रत प्रभु के दर्शन पाकर
देखा पंचमृत अभिषेक प्रभु का, सुनलो भैय्या मेरी सुनलो बहना,
माता की रोमांचक यात्रा।।६।।
ढोरकिन बिडकिन में पहुँची, हुई औरंगाबाद में वीर जयंती।
सज गये घर-घर वंदनवार, मेरी सुनलो भैय्या मेरी सुनलो बहना,
माता की रोमांचक यात्रा।।७।।
आगे सुनो आगे सुनो, आगे सुनो, भाई आगे सुनो।
ज्ञानमती माताजी की यात्रा सुनो, कहाँ कहाँ पहुँची माता आगे सुनो।।टेक.।।
माँ ज्ञानमती की यात्रा में आओ मिलके।
आओ मिलके, खुशी मनाओ मिलके।।
माँ ज्ञानमती की यात्रा….।।
औरंगाबाद से चली जटवाड़ा, बालूज में भी बजा नगाड़ा।
बजाजनगर में भक्ति गुलाल उड़ाओ मिलके उड़ाओ मिलके।।
माँ ज्ञानमती की….।।१।।
फिर लासूर स्टेशन आया, दीक्षा जयंती उत्सव मनाया।
ज्ञानमती माँ का बांसठवां उत्सव सभी मनाओ मिलके,
सभी मनाओ मिलके।।माँ ज्ञानमती की…।।२।।
बैजापुर से वीर गांव में, वीर सिन्धु गुरु जन्मगांव में।
दीक्षागुरु के जन्मतीर्थ की रज को शीश चढ़ाओ मिलके
शीश चढ़ाओ मिलके।।माँ ज्ञानमती की…।।३।।
श्रीरामपुर शिरडी नगरी, ज्ञानतीर्थ में पाश्र्वनाथ जी
कमल जिनालय पर कलशारोहण कर ध्वज चढ़ाओ मिलके
ध्वजा चढ़ाओ मिलके।।माँ ज्ञानमती की…।।४।।
कोपरगांव से नाशिक पहुँचे, ज्ञानवाटिका के दर्शन करके।
गजपंथा जी सिद्धक्षेत्र में कोटि कोटि मुनियों को शीश नमाओ मिलके,
शीश नमाओ मिलके।।माँ ज्ञानमती की…।।५।।
सुनो सुनो भई सुनो सुनो, आगे की यात्रा सुनो सुनो.
कहाँ चलती है, क्या कहती हैं, ज्ञानमती माता की बात सुनो।।टेक.।।
चलीं मुम्बई शहर की ओर, ज्ञानमती माताजी।
मची जयकार जहाँ चहुं ओर, ज्ञानमती माताजी।।टेक.।।
छोटी व शाहपुर के नर और नारी, माता के चरणों में बलि बलिहारी।
पुष्पवृष्टि करें चारों ओर, ज्ञानमती माताजी।।चलीं मुम्बई.।।१।।
मुम्बई निकट जब कल्याण पहुँची, डोम्बीवली की टोली आ पँहुची ।
चलीं मुम्ब्रा बाहुबली की ओर, ज्ञानमती माताजी।।चलीं मुम्बई.।।२।।
मस्तकाभिषेक बाहुबली का कराया, ‘‘बाहुबलिगिरि’’ का डंका बजाया।
बढ़ीं वाशी ऐरोली की ओर, ज्ञानमती माताजी।।चलीं मुम्बई.।।३।।
मुम्बई में भाण्डुप से साकीनाका आई, आगे असल्फा से घाटकोपर आई।
चलीं पन्तनगर सायन की ओर, ज्ञानमती माताजी।।चलीं मुम्बई.।।४।।
अन्ट्राप हिल घोड़पदेव जाकर, श्रद्धालु भक्तों की खुशियाँ बढ़ाकर।
पुन: ताड़देव मंदिर की ओर, ज्ञानमती माताजी।।चलीं मुम्बई.।।५।।
फिर भक्त लाये गुलालवाड़ी में, भक्ति करें माँ की आंगनवाड़ी में।
चौपाटी गई पार्श्वनाथ, ज्ञानमती माताजी।।चलीं. मुम्बई.।।६।।
वर्ली-कमाठीपुरा-खार पहुंचीं, अंधेरी से गोरेगांव मंदिर जी।
प्रभु के दर्शन से पुलकित हैं मात, ज्ञानमती माताजी।।चलीं. मुम्बई.।।७।।
तीनमूर्ति पोदनपुरी तीर्थ पाया, मस्तकाभिषेक तीनों प्रभु का कराया।
‘‘चन्दनामती’’ है जय जय का शोर, ज्ञानमती माताजी।।चलीं मुम्बई.।।८।।