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प्रज्ञाश्रमणी आर्यिकारत्न श्री चंदनामती माताजी का परिचय

June 2, 2022Surbhi JainMangitungi

१०८ फुट भगवान ऋषभदेव प्रतिमा निर्माण की कुशल मार्गदर्शिका प्रज्ञाश्रमणी आर्यिकारत्न श्री चंदनामती माताजी का परिचय प्रस्तुति-आर्यिका स्वर्णमती (संघस्थ-गणिनीप्रमुख श्री ज्ञानमती माताजी) जन्म-   १८ मई १९५८, ज्येष्ठ कृ. अमावस्या, वीर नि. सं. २४८४ जन्मस्थान- टिकैतनगर (बाराबंकी) उ.प्र. नाम- कु. माधुरी जैन माता-पिता-  श्रीमती मोहिनी देवी जैन (आर्यिका रत्नमती माताजी) एवं श्री छोटेलाल जैन बहन-भाई-  आठ…

पूज्य आर्यिका श्री रत्नमती माताजी का परिचय

June 2, 2022Surbhi JainMangitungi

गणिनीप्रमुख श्री ज्ञानमती माताजी की जन्मदात्री माँ पूज्य आर्यिका श्री रत्नमती माताजी का परिचय -आर्यिका चन्दनामती आदिब्रह्मा भगवान ऋषभदेव की जन्मभूमि अयोध्या और उसके आस-पास के क्षेत्र को भी अवध के नाम से जाना जाता है। वैसे इन प्रथम तीर्थंकर भगवान ऋषभदेव और उनके प्रथम पुत्र चक्रवर्ती सम्राट् भरत के समय वह अयोध्या नगरी १२…

गणिनीप्रमुख श्री ज्ञानमती माताजी : एक दृष्टि में

June 2, 2022Surbhi JainMangitungi

गणिनीप्रमुख श्री ज्ञानमती माताजी : एक दृष्टि में -आर्यिका श्री चन्दनामती माता जी  जन्मस्थान-   टिकैतनगर (बाराबंकी) उ.प्र. जन्मतिथि-   आसोज सुदी १५ (शरदपूर्णिमा) वि. सं. १९९१, (२२ अक्टूबर सन् १९३४) जाति-  अग्रवाल दि. जैन, गोत्र-गोयल, नाम-कु. मैना माता-पिता-   श्रीमती मोहिनी देवी एवं श्री छोटेलाल जैन आजन्म ब्रह्मचर्य व्रत-   ई. सन् १९५२, बाराबंकी में शरदपूर्णिमा के दिन…

ज्ञानमती माता जी के दीक्षित जीवन के ६६ चातुर्मास (१९५३-२०१८)

June 2, 2022Surbhi JainMangitungi

दीक्षित जीवन के ६६ चातुर्मास (१९५३-२०१८) १. टिकैतनगर (उ.प्र.) -१९५३ २. जयपुर (राज.) -१९५४ ३. म्हसवड़ (महा.) -१९५५ ४. जयपुर (खानियां) -१९५६ ५. जयपुर (खानियां) -१९५७ ६. ब्यावर (राज.) -१९५८ ७. अजमेर (राज.) -१९५९ ८. सुजानगढ़(राज.) -१९६० ९. सीकर (राज.) -१९६१ १०. लाडनूँ (राज.) -१९६२ ११. कलकत्ता (पं. बंगाल) -१९६३ १२. हैदराबाद (आंध्रप्रदेश) -१९६४ १३….

गणिनीप्रमुख श्री ज्ञानमती माताजी का परिचय

June 2, 2022Surbhi JainMangitungi

१०८ पुट उत्तुंग भगवान ऋषभदेव प्रतिमा निर्माण की महान प्रेरिका भारतगौरव, दिव्यशक्ति गणिनीप्रमुख श्री ज्ञानमती माताजी का परिचय -आर्यिका चन्दनामती कुन्दकुन्दान्वयो जीयात्, जीयात् श्री शांतिसागर:। जीयात् पट्टाधिपस्तस्य, सूरि: श्री वीरसागर:।।                                                    …

आचार्य शांतिसागर परम्परा की ज्येष्ठ एवं श्रेष्ठ आर्यिका गणिनीप्रमुख श्री ज्ञानमती माताजी

June 2, 2022Surbhi JainMangitungi

आचार्य शांतिसागर परम्परा की ज्येष्ठ एवं श्रेष्ठ आर्यिका भारतगौरव दिव्यशक्ति गणिनीप्रमुख श्री ज्ञानमती माताजी चारित्रचक्रवर्ती आचार्य श्री शांतिसागर जी महाराज की परम्परा में आचार्य परम्परा के साथ बीसवीं-इक्कीसवीं शताब्दी की सर्वप्राचीन दीक्षित, दीक्र्षकालिक तपस्विनी आर्यिका, गणिनीप्रमुख श्री ज्ञानमती माताजी का नाम भी ज्येष्ठ एवं श्रेष्ठ स्थान पर लिया जाता है। सन् १९५५ में चारित्रचक्रवर्ती आचार्य…

आचार्य श्री अनेकांत सागर जी महाराज

June 2, 2022Surbhi JainMangitungi

सप्तम (वर्तमान) पट्टाचार्य आचार्य श्री अनेकांत सागर जी महाराज प्रथमाचार्य चारित्रचक्रवर्ती श्री शांतिसागर जी महाराज की अक्षुण्ण मूल आचार्य परम्परा के वर्तमान सप्तम पट्टाचार्य श्री अनेकांतसागर जी महाराज ने भारत वसुंधरा के बीचोंबीच स्थित मध्यप्रदेश राज्य के जिला नरसिंहपुर में गोटेगांव (श्रीधाम) नगर में सन् १९६३ में ९ सितम्बर को श्री भगवानदास जी जो कि…

आचार्य श्री अभिनंदनसागर जी महाराज

June 2, 2022Surbhi JainMangitungi

षष्ठ पट्टाचार्य आचार्य श्री अभिनंदनसागर जी महाराज राजस्थान का उदयपुर जिला अनेकों साधुओं के जन्म से पावन रहा है। इसी शृँखला में ‘शेषपुर’ नामक ग्राम में षष्ठम् पट्टाचार्य श्री १०८ अभिनंदनसागर महाराज का जन्म वि.सं. १९९९ में हुआ। माता रूपाबाई एवं पिता श्री अमरचंद जी के घर पुत्र रूप में जन्में ‘‘धनराज’’ के आगमन से…

आचार्य श्री श्रेयांससागर जी महाराज

June 1, 2022Surbhi JainMangitungi

पंचम पट्टाचार्य आचार्य श्री श्रेयांससागर जी महाराज कौन जानता था कि इतने अल्पकाल में ही संघ के आचार्य अजितसागर जी समाधिस्थ हो जायेंगे? आचार्य पद की समस्या खड़ी हो गई। चतुर्थ पट्टाधीश तक यह परम्परा अक्षुण्ण थी। परन्तु आचार्य अजितसागर महाराज के पश्चात् इस परम्परा में दो विभाग हुए। बहुमत व अधिकांश साधुवर्ग एवं श्रावकवर्ग…

आचार्य श्री अजितसागर जी महाराज

June 1, 2022Surbhi JainMangitungi

चतुर्थ पट्टाचार्य आचार्य श्री अजितसागर जी महाराज   विक्रम सं. १९८२ (सन् १९२५) में भोपाल के पास आष्टा नामक कस्बे के समीप प्राकृतिक सुरम्यता से परिपूर्ण भौंरा ग्राम में श्री जबरचंद जी जैन की धर्मपत्नी रूपाबाई की कुक्षि से एक बालक का जन्म हुआ, जिसका नाम रखा गया राजमल। वि.सं. २००२ में राजमल आचार्यश्री वीरसागर महाराज…

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