महोत्सव के मध्य पूज्य गणिनीप्रमुख श्री ज्ञानमती माताजी द्वारा लिखित एवं अन्य लेखकों द्वारा संकलित व सम्पादित विभिन्न साहित्यिक कृतियों का भी लोकार्पण व विमोचन हुआ।
सर्वप्रथम ११ फरवरी को डॉ. उदिता शाह-पुणे द्वारा लिखी गई ‘‘एक प्रणाम-स्वर्णिम इतिहास निर्मिती को’’ नामक सुन्दर पुस्तक का विमोचन किया गया। यह विमोचन महोत्सव के सौधर्म इन्द्र श्री जे.सी. जैन-सौ. सुनीता जैन-हरिद्वार के करकमलों से सम्पन्न हुआ।
१२ फरवरी को पूज्य गणिनीप्रमुख श्री ज्ञानमती माताजी की लेखनी से प्रस्तुत ‘‘भगवान विमलनाथ विधान’’, ‘‘भगवान कुंथुनाथ विधान’’, ‘‘अरिष्टनेमि तीर्थंकर विधान’’, ‘‘भगवान महावीर स्वामी विधान’’ नामक कृतियों का विमोचन श्री जे.के. जैन, पूर्व सांसद-दिल्ली, श्री प्रमोद कासलीवाल-औरंगाबाद एवं डॉ. अनुपम जैन-इंदौर द्वारा किया गया।
इसी दिन ‘‘चैत्यभक्ति एवं वीरभक्ति’’ नामक कृति का विमोचन भी श्री सुरेश जैन कुलाधिपति-मुरादाबाद एवं श्री अनिल जैन, प्रीतविहार-दिल्ली के करकमलों से सम्पन्न हुआ।
विशेषरूप से श्रीमती सरिता एम.के. जैन-चेन्नई द्वारा पूज्य माताजी के व्यक्तित्व पर प्रकाशित की गई ‘‘आध्यात्मिक इन्द्र धनुष की एक अनूठी एवं सतरंगी तस्वीर-परमपूज्य गणिनीप्रमुख श्री ज्ञानमती माताजी’’ नामक सुन्दर पुस्तक का विमोचन भी इस दिन हुआ, जिसको श्रीमती सरिता जी ने संघपति श्री महावीर प्रसाद जैन-दिल्ली एवं श्री कमलचंद जैन, खारीबावली-दिल्ली के करकमलों से सम्पन्न कराया।
१३ फरवरी को ‘‘गौतम गणधर वाणी अमृतवर्षिणी टीका, भाग-१’’ का विमोचन समारोह के मुख्य अतिथि माननीय श्री अमित शाह (राष्ट्रीय अध्यक्ष-भाजपा) के करकमलों से किया गया। इसी दिन ‘‘श्री ऋषभदेव स्तोत्र (चित्रमयी) एवं ‘‘दिव्यशक्ति’’ नामक सुन्दर फिल्म की वी.सी.डी. का विमोचन भी मुख्य अतिथि द्वारा किया गया।
१४ फरवरी २०१६ को डॉ. कल्याणमल गंगवाल-पुणे द्वारा शाकाहार पर अंग्रेजी में लिखित ‘‘वेजिटेरिनिज्म’’ पुस्तक का विमोचन श्री सुरेश जैन कुलाधिपति-मुरादाबाद, श्रीमती सरिता जैन-चेन्नई एवं श्री सुनील जैन सर्राफ-मेरठ के करकमलों द्वारा हुआ।
१५ फरवरी को श्रीमती त्रिशला जैन-लखनऊ द्वारा लिखी गई ‘‘ऋषभदेव काव्य शतक’’ पुस्तक का विमोचन भी तीर्थंकर महावीर विश्वविद्यालय के कुलाधिपति श्री सुरेश जैन द्वारा सम्पन्न किया गया।
१६ फरवरी को मुख्य अतिथि माननीय श्री देवेन्द्र जी फडणवीस (मुख्यमंत्री-महाराष्ट्र) के करकमलों द्वारा ‘‘सर्वोच्च दिगम्बर जैन प्रतिमा’’ नामक ग्रंथ की एक प्रति का विमोचन डॉ. अनुपम जैन ने सम्पन्न कराया। इस अवसर पर पंचकल्याणक के एक प्रतीकचिन्ह (लोगो) का लोकार्पण भी मुख्य अतिथि के हस्ते श्री पारस लोहाड़े, सौ. सुवर्णा काला द्वारा सम्पन्न कराया गया
१७ फरवरी को दक्षिण भारत जैन सभा द्वारा आयोजित दिव्यावदान समारोह में सभा की मुख पत्रिका ‘‘प्रगति आणि जिनविजय’’ के ऋषभगिरि-मांगीतुंगी विशेषांक का लोकार्पण गणिनीप्रमुख श्री ज्ञानमती माताजी, प्रज्ञाश्रमणी आर्यिका श्री चंदनामती माताजी के करकमलों द्वारा हुआ। इसी दिन डॉ. अनुपम जैन-इंदौर के सम्पादकत्व में प्रकाशित होने वाली शोध पत्रिका ‘‘अर्हत् वचन’’ का लोकार्पण श्री जे.सी. जैन-हरिद्वार के द्वारा किया गया।
इस दिन पूज्य गणिनीप्रमुख श्री ज्ञानमती माताजी द्वारा प्रस्तुत गौतम गणधर वाणी पुस्तक के अंग्रेजी अनुवाद का विमोचन पूज्य माताजी द्वारा किया गया। इस पुस्तक का अंग्रेजी अनुवाद श्री पी.सी. जैन-बैंगलोर ने किया है। चित्र में साथ खड़े हैं उनके सुपुत्र श्री प्रफुल्ल कुमार जैन (एसोसिएट डायरेक्टर-इसरो)।
इसी क्रम में २७ फरवरी को ‘‘ऋषभगिरि भजन संग्रह’’ नामक सुन्दर भजनों की एक सी.डी. का विमोचन श्री प्रदीप कासलीवाल-इंदौर, श्री हसमुख गांधी-इंदौर एवं श्री सुरेश जैन-खण्डवा के करकमलों द्वारा किया गया।
इसी क्रम में अतिथियों ने पूज्य माताजी द्वारा रचित ‘‘श्रेयांसनाथ विधान’’ एवं ‘‘श्री अरहनाथ विधान’’ तथा आर्यिका श्री चंदनामती माताजी द्वारा अंग्रेजी भाषा में रचित ‘‘ऋषभगिरि-मांगीतुंगी पूजन’’ पुस्तक का विमोचन भी किया।
२९ फरवरी को पूज्य माताजी द्वारा रचित एवं श्री लक्ष्मीसेन दिगम्बर जैन ग्रंथमाला-कोल्हापुर द्वारा प्रकाशित ‘‘त्रिकाल तीर्थंकर पूजा-विधान’’ तथा सौ. भारती प्रशांत उपाध्ये द्वारा संकलित-सम्पादित ‘जिनभक्ति स्तव मंजरी’’ का विमोचन मंचासीन अतिथियों द्वारा किया गया।
१ मार्च को विद्वत् सम्मेलन के अवसर पर डॉ. अनुपम जैन-इंदौर द्वारा ‘‘सम्पर्क -२०१६’’ पुस्तक का विमोचन डॉ. डी.सी. जैन-दिल्ली के करकमलों द्वारा कराया गया।
६ मार्च को ‘‘जैन बोधक मराठी’’ का लोकार्पण सम्पन्न हुआ।