जिस भारत देश में, दूध की नदियाँ बहती थीं, अब खून की नदियाँ , बहने वाली हैं। आ रही हैं, पिक क्रांति योजना, है भारत सरकार की, सभी मवेशी, आधुनिक यंत्रों से, क्षणभर में वध हो जायेंगे। सरकार को अब, पशुओं से दूध नहीं, उनका मांस चाहिए, गोबर नहीं चमड़ा चाहिए। अब पशुओं को जीने का कोई अधिकार नहीं। है संकल्प भारत सरकार का, इससे खाद्य संकट मिटेगा, विदेशी मुद्रा आएगी, बेरोजगारी हटेगी, देशसम्पन्न होगा, वे बेजुबान हैं, हम जुबानदार होकर भी, अब बेजुबान हैं, यह सरकार जो चाहे कर सकती है और हम टुकुर—टुकुर देखते रह जाते हैं। जिन पशुओं ने अपनी सन्तान के हिस्से का अमृतसम दूध हमें पिलाया है। उनका उपकार हम भले न मानें। अब जब वे नहीं होंगे, तब हमारे बच्चों को, माँ सम दूध कौन पिलायेगा ? भागो नहीं, जागो।रोको— रोको इस अपार हिंसा को, हमारा जीवन व्यर्थ है, यदि हम नहीं रोक सके, इस वृहद् यांत्रिक हिंसा को। कहीं हमारी निष्क्रियता, इस दुष्कृत्य के लिए,हमारी अनुमोदना न हो जाये।