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माता हो माता रे ज्ञान तेरा सांचा!
June 15, 2020
भजन
jambudweep
माता हो माता रे
तर्ज—कांची हो कांची रे……
माता हो माता रे ज्ञान तेरा सांचा, सांची तेरी हर बात है। हो……।। टेक.।।
द्वादशांग वाणी का आधार लेकर, कुन्दकुन्द वाणी में साकार होकर।
जिनवाणी कहती हो, जिनवाणी रचती हो, निजवाणी का रस घोल के।। हो…… माता……।।१।।
गुरु शांतिसागर का दर्शन किया है, श्री वीरसागर से दीक्षा लिया है।
ज्ञानमती बन गर्इं, ज्ञानज्योति जल गयी, वीरा की जय जय बोल के।। हो…… माता……।।२।।
संसार को तुमने मारग दिखाया, श्रुतज्ञान का सार सबको सिखाया।
तीर्थ उद्धार कर, धर्म का प्रचार कर, प्रभु नाम मन में घोल के।। हो…… माता……।।३।।
तेरे उद्यान में ज्ञान के फूल हैं, ‘चंदनामती’ तभी शूल भी फूल हैं।
सत्य के मार्ग पर, शांति और त्याग पर, चलती हो शक्ती को तोल के।। हो…… माता……।।४।।
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