एक बार एक युवक रेल की यात्रा कर रहा था। स्टेशन पर रेल रूकी। वह युवक अखबार खरीदना चाहता था। इसलिए वह बार—बार खिड़की के बाहर झांक रहा था, पर उसने अखबार नहीं खरीदा। अन्य यात्रियों ने कहा— ‘तुम अखबार लेना चाहते थे, फिर क्यों नहीं लिया ?’ युवक ने कहा— ‘नहीं, कोई खास बात नहीं है।’ अंत में जब गाड़ी धीरे—धीरे चलने लगी तब उस युवक ने अखबार खरीदा और बैचने वाले को खोटी चवन्नी दे दी। खोटी चवन्नी देकर युवक खुश हो रहा था। यात्रियों ने पुन: प्रश्न किया— ‘इतने खुश कैसे दिखाई दे रहे हो ?’ युवक—‘ मैंने अपनी खोटी चवन्नी को चला दिया।’ कुछ ही क्षणों बाद युवक ने पढ़ने के लिए अखबार खोला तो पाया कि यह तीन महीने पुराना है। बोला—‘ मेरे साथ तो धोखा हो गया।—जो दूसरों का अनिष्ट करता है, उसका अपना अनिष्ट इस तरह हो जाता है।