१. प्रेरणा – आश्विन शु. १५ (शरदपूर्णिमा), वी. नि. सं. २५२२, विक्रम सं. २०५३,
२६ अक्टूबर १९९६, शनिवार
द्वारा-पूज्य गणिनीप्रमुख आर्यिकाशिरोमणि श्री ज्ञानमती माताजी
२. शिलापूजन – फाल्गुन वदी ५, वी. नि. सं. २५२८, विक्रम सं. २०५८, ३ मार्च २००२, रविवार
नोट-ब्र. रवीन्द्र कुमार जैन (स्वामीजी) एवं अनेक राजनेताओं की उपस्थिति में संघपति श्री महावीर प्रसाद जैन-श्रीमती कुसुमलता जैन, साउथ एक्स., दिल्ली परिवार द्वारा। विशेष उपस्थित-श्री कमलचंद जैन, खारीबावली-दिल्ली आदि।
३. मूर्ति निर्माण कार्य शुभारंभ – मगसिर शुक्ला त्रयोदशी, वी. नि. सं. २५३९, विक्रम सं. २०६९,
२५ दिसम्बर २०१२, मंगलवार
नोट-शिला उकेरने के उपरांत कर्मयोगी पीठाधीश स्वस्तिश्री रवीन्द्रकीर्ति स्वामीजी, कार्याध्यक्ष-श्री अनिल कुमार जैन, प्रीतविहार-दिल्ली, महामंत्री डॉ. पन्नालाल पापड़ीवाल-पैठण (महा.), मंत्री इंजी. श्री सी. आर. पाटील-पुणे, सदस्य-श्री नरेश बंसल-गुड़गाँवा सहित कमेटी के पदाधिकारियों ने सोने व चांदी की छैनी-हथौड़ी से शुभ मुहूर्त में शिला पर मूर्ति बनाने का कार्य प्रारंभ किया।
४. मूर्ति निर्माण की पूर्णता – माघ कृ. एकम्, वी. नि. सं. २५४२, विक्रम सं. २०७२, २४ जनवरी २०१६, रविवार
नोट – शुभ तिथि में कारीगरों द्वारा भगवान के नेत्र खोलने के उपरांत मूर्ति निर्माण कार्य की पूर्णता घोषित की गई। इस अभूतपूर्व दृश्य को देखने के लिए मूर्ति निर्माण की प्रेरिका पूज्य गणिनीप्रमुख श्री ज्ञानमती माताजी ससंघ वहाँ पर्वत पर विराजमान थीं।
५. अंतर्राष्ट्रीय पंचकल्याणक – माघ शु. ३ से १०, वी. नि. सं. २५४२, विक्रम सं. २०७२, ११ से १७ फरवरी २०१६, गुरुवार से बुधवार
६. प्रथम महामस्तकाभिषेक – माघ शु. एकादशी, वी. नि. सं. २५४२, विक्रम सं. २०७२, १८ फरवरी २०१६, गुरुवार
७. गिनीज वल्र्ड रिकॉर्ड – फाल्गुन कृ. द्वादशी, वी. नि. सं. २५४२, विक्रम सं. २०७२, ६ मार्च २०१६, रविवार
नोट –इस दिन महोत्सव के समापन अवसर पर गिनीज वर्ल्ड रिकार्ड (लंदन) के अधिकारियों ने स्वयं मांगीतुंगी पधारकर भगवान ऋषभदेव को विश्व की सबसे ऊँची जैन प्रतिमा (११३फुट) के रूप में अपने रिकॉर्ड में दर्ज किया और पूज्य माताजी के करकमलों में सर्टिफिकेट प्रदान किया।