चिंता मेरे सिर पर, खड़ी होने लगी है।
मेरी बिटिया अब, बड़ी होने लगी है।।
अंगुली पकड़कर मेरी, नन्हें डग भरने लगी है,
नूरे नजर मेरी, अपने पांवों पर खड़े होने लगी है।
मेरी बिटिया अब……. डाल गले में बांहे कंधे पर जो झूलती थी,
हीरा पन्ना मेरी, मोतियों की लड़ी होने लगी है, उसका कद मेरे,
कंधे से ऊंचा निकल आया, छोटी सोन चिरैया मेरी, अब परी होने लगी है।
मेरी बिटिया अब……. कल तक गौरेया सी, फुदकती थी वह,
स्मृतियां अब गुजरती, घड़ी होने लगी है।
करना होगा विदा घर से तुझे एक दिन,
सोच—सोच के यही पीड़ा घनी होने लगी है।
मेरी बिटिया अब…….. चिंता मेरे सिर पर,
खड़ी होने लगी है, मेरी बिटिया अब बड़ी होने लगी है।