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July 11, 2017
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विनयांजलि
लेखिका-श्रीमती मालती जैन, बसंत कुंज, दिल्ली
ज्ञानमती माँ ! पूर्ण चन्द्रमा, इनकी कला निराली है,
गुरु से चंदनामती मात ने, पूर्ण चाँदनी पा ली है।।टेक.।।
एक दूसरे की पूरक हो, मावस से र्पूिणमा बनीं, जैसा मार्ग दिखाया, गुरु ने, बहन माधुरी वहीं चलीं।
सम्यग्दर्शन—ज्ञान—चरित में, ज्ञानमती माँ जग दर्पण, बना दिया चंदनामती को, अपने जैसा ही सक्षम।।
गुरु भक्ती से मिलती शक्ती, भक्ती इनकी निराली है, गुरु से चंदनामती मात ने, पूर्ण चाँदनी पा ली है।।१।।
गणिनी पद शोभित तुमसे है, ज्ञानमती माँ हो अनुरूप, शिष्यों का संग्रह—निग्रह, करना ही गणिनी का प्रारूप।
उपाध्याय, आचार्य बने हैं, शिष्य आपके हैं अनुपम, उनमें ही चन्दनामती जी, प्रज्ञाश्रमणी तुम्हें नमन।।
ज्ञान साधना में चारित में, सच्ची शिक्षा पा ली है, गुरु से चंदनामती मात ने, पूर्ण चाँदनी पा ली है।।२।।
ज्ञानमती माँ ने सिखलाया, एकल बिहारी मत बनना, पूर्वाचार्यों की आज्ञा को, पूर्णरूप पालन करना।
सब भव्यों को जिनवाणी का सच्चा मर्म बताया है, आज्ञा सम्यग्दर्शन चंदनामती मात ने पाया है।।
रत्नत्रय का मिला खजाना बाकी सब कुछ खाली है, गुरु से चंदनामती मात ने, पूर्ण चाँदनी पा ली है।।३।।
संस्कृत में ग्रंथों की टीका, सचमुच विस्मयकारी है, अष्ट सहस्री जैसे ग्रंथों की टीका मनहारी है।
ज्ञानमती जी के पद चिह्नों पर, चलना ही है धर्म मेरा, कहती हैं चंदनामती जी, लिखते रहना कर्म मेरा।।
हिन्दी टीका लिखती हैं जो द्वादशांग जिनवाणी है, गुरु से चंदनामती मात ने, पूर्ण चाँदनी पा ली है।।४।।
वैज्ञानिक पद्धति का चंदनामति ने शुभ उपयोग किया, जैनधर्म को विश्व प्रसिद्धी दिलवाने का काम किया।।
विश्वकोष—इनसाइक्लोपीडिया, इन्टरनेट पर डलवाया, जन—मानस को ज्ञान प्राप्त हो, यह प्रयास भी करवाया।।
पीएच. डी. की डिग्री इनकी, प्रतिभा की इक डाली है, गुरु से चंदनामती मात ने, पूर्ण चाँदनी पा ली है।।५।।
मात मोहिनी की संतति हैं, हम सबको यह पुण्य मिला, और गुरु माँ ज्ञानमती की शिक्षा पाना पुण्य बड़ा।
दुखमकाल में इस शरीर से दीक्षा का धारण करना, गुरु की आज्ञा में रह करके काया से ममता तजना।।
पुण्य ‘मालती’ अधिक आपका सारी शक्ती पा ली है, गुरु से चंदनामती मात ने, पूर्ण चाँदनी पा ली है।।६।।
ज्ञानमती माँ की प्रतिभा तुम, रत्नमती माँ की छाया हो, स्वामी श्री रवीन्द्रर्कीित की, हँसमुख शात—छवी साया हो।
चौबीस वर्ष किये हैं, पूरे, दीक्षा रजत महोत्सव है, फिर से चौबीसी पूरण हों, ज्ञानमती माँ के संग में।।
गुरु—शिष्या को नमन ‘मालती’ तुमने मंजिल पा ली है। गुरु से चंदनामती मात ने, पूर्ण चाँदनी पा ली है।।७।।
ज्ञानमती माँ पूर्ण चन्द्रमा, इनकी कला निराली है,
गुरु से चंदनामती मात ने पूर्ण चाँदनी पा ली है।।
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