शादी में कुछ नहीं चाहिए सब कुछ है अपने घर में, बेटी आपकी बहुत लाड़ली है, उसको जो देना हो दें।
बेटे को भी जो कुछ देंगे, बहू करेगी उसका भोग, बेटा यदि संतुष्ट रहा तो, बहू रहेगी सदा निरोग।।
देना है जो दे दहेज में, पर इतना भर ध्यान रहे, बेटा है यह बड़े बाप का, उसका भी सम्मान रहे।
कार भले ही छोटी देना, पर एसी का ध्यान रहे। टीवी ऐसा हो घर में भी, थियेटर जैसा भान रहे।
पैसा तो हम छू नहीं सकते, पाप मानते हैं लेना, आप एफडी बेटा—बहू के जांइट नाम से कर देना।
हम तो अपनी बहू देखकर ही सब कुछ पा जाएंगे, किन्तु आप तो बड़े लोग हैं, अपना फर्ज निभाएंगे।।
समधिन—समधि के स्वागत में, कैसे करेंगे कमी आप, है समाज में नाम आपका, उसका ध्यान रखेंगे आप।
बहुत आडम्बर भी समधिजी, हमको नहीं सुहाएगा, सोने की मालाओं से ही, स्वागत पूरा हो जाएगा।
बेटे की माँ तो देवी है, बहू को बेटी जैसी मानेंगी। लक्ष्मी लेकर आई बहू को भी, लक्ष्मी जैसा जानेंगी।
दहेज दिखाकर मोहल्ले में, आपका मान बढ़ाएगी, यदि संतुष्ट रही बहू से, गैस कभी न जलवाएगी।
रानी बनकर वह रहेगी, यहाँ हमारे परिसर में, शादी में कुछ नहीं चाहिए, सबकुछ है अपने घर में।