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शारद माता का रूप दखाया!
June 16, 2020
भजन
jambudweep
शारद माता का
तर्ज—मनिहारों का रूप……
शारद माता का रूप दखाया, ज्ञान का तूने अलख जगाया।। टेक.।।
दीक्षा लेती न थीं क्वांरी कन्या यहाँ, बीसवीं सदि में तुमने प्रथम पद लिया।
ज्ञानमति नाम तब तूने पाया, ज्ञान का तूने अलख जगाया। ।।शारद…।।१।।
कोई साहित्य रचना न की साध्वी ने, सैकड़ों ग्रन्थ अब रच दिए मात ने।
कुन्दकुन्द का पथ दरशाया, ज्ञान का तूने अलख जगाया। ।।शारद…।।२।।
जैन भूगोल रचना नहीं थी कहीं, मात्र प्राचीन ग्रन्थों में वह थी कही।
जम्बूद्वीप का रूपक दखाया, ज्ञान का तूने अलख जगाया। ।।शारद…।।३।।
जिनवरों की जनमभूमि विकसित न थीं, प्रेरणा उनके उद्धार की माँ ने दी।
ऋषभ महावीर नाम गुंजाया, ज्ञान का तूने अलख जगाया। ।।शारद…।।४।।
जैन संस्कृात की तू इक धरोहर है मां, युग युगों तक जिए तू कहें ‘‘चन्दना”।
धरती चाहे सदा तेरी छाया, ज्ञान का तूने अलख जगाया। ।।शारद…।।५।।
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