मंजिल बनाने के लिए पहले शिलान्यास किया जाता है
मंदिर बनाने के लिए भी शिलान्यास किया जाता है
किन्तु एक से प्राणी कायसुख पाता है
और दूसरे से आत्मसुख प्राप्त किया जाता है
अब हमें सोचना है सत्यपथ खोजना है
शिलान्यास करने हेतु आत्ममंदिर में पहुँचना है
वैराग्य पत्थर की शिला लेकर आत्मा में न्यास करना है
पुन: धीरे-धीरे मंजिल उठाकर परमात्म प्रभु को अपने पास करना है
इसीलिए अब हमें मंदिर का शिलान्यास करना है।