डी.लिट्. की मानद् उपाधि- सन् १९९५ में अवध वि.वि. (फैजाबाद) द्वारा एवं तीर्थंकर महावीर विश्वविद्यालय मुरादाबाद द्वारा ८ अप्रैल २०१२ को ‘‘डी.लिट्.’’ की मानद उपाधि से विभूषित।
तीर्थंकर जन्मभूमियों एवं कल्याणकभूमियों पर निर्माण एवं विकास की प्रेरणा –भगवान शांति-कुंथु-अरहनाथ की जन्मभूमि हस्तिनापुर में जंबूद्वीप, तेरहद्वीप, तीनलोक आदि अनूठी रचनाओं के निर्माण तथा ३१-३१ फुट उत्तुंग भगवान शांति-कुंथु-अरहनाथ की विशाल प्रतिमाओं की स्थापना।
महोत्सव प्रेरणा – पंचवर्षीय जम्बूद्वीप महामहोत्सव, भगवान ऋषभदेव अंतर्राष्ट्रीय निर्वाण महामहोत्सव, अयोध्या में भगवान ऋषभदेव महाकुंभ मस्तकाभिषेक, कुण्डलपुर महोत्सव, भगवान पाश्र्वनाथ जन्मकल्याणक तृतीय सहस्राब्दि महोत्सव, दिल्ली में कल्पद्रुम महामण्डल विधान का ऐतिहासिक आयोजन इत्यादि।
विशेषरूप से २१ दिसम्बर २००८ को जम्बूद्वीप स्थल पर विश्वशांति अहिंसा सम्मेलन का आयोजन हुआ, जिसका उद्घाटन भारत की राष्ट्रपति श्रीमती प्रतिभा देवीसिंह पाटील द्वारा किया गया।
वर्ष घोषणाएँ- भगवान पार्श्वनाथ तृतीय सहस्राब्दि वर्ष (२००५-२००६), सम्मेदशिखर वर्ष (२००६-२००७), प्रथमाचार्य श्री शांतिसागर वर्ष (२०१०-२०११), प्रथम पट्टाचार्य श्री वीरसागर वर्ष (२०११-२०१२) एवं वर्तमान में ‘‘श्री गौतम गणधर वर्ष’’ सारे देश में मनाया जा रहा है।
रथ प्रवर्तन प्रेरणा- जम्बूद्वीप ज्ञानज्योति (१९८२ से १९८५), समवसरण श्रीविहार (१९९८ से २००२), महावीर ज्योति (२००३-२००४) का भारत भ्रमण एवं वर्तमान में ‘‘आचार्य श्री शांतिसागर सम्मेदशिखर ज्योति’’ (२०१३-२०१४) का महाराष्ट्र-कर्नाटक प्रांतीय प्रवर्तन।
इस प्रकार नित्य नूतन भावनाओं की जननी पूज्य माताजी चिरकाल तक इस वसुधा को सुशोभित करती रहें, यही मंगल कामना है।