श्री दिगम्बर जैन अतिशय क्षेत्र अणिन्दा पार्श्वनाथ जी राजस्थान के उदयपुर जिले में स्थित है। अणिन्दा ग्राम के तहसील वल्लभनगर में स्थित यह क्षेत्र जंगल के मध्य तालाब के किनारे पर स्थित है। रेलवे स्टेशन उदयपुर से यह ४० कि.मी. एवं उदयापोल बस स्टैण्ड, उदयपुर से ४२ कि.मी. दूर है। उदयपुर चित्तौड़ मार्ग पर होने से यात्री आसानी से पहुँच सकते हैं। अणिन्दा जी में मूलनायक भगवान पार्श्वनाथ की प्रतिमा २००० वर्ष प्राचीन है। यह मंदिर दक्षिणमुखी है। सम्पूर्ण भारतवर्ष में दक्षिणााभमुखी मंदिर और कहीं भी नहीं है। मंदिर के दक्षिणाभिमुखी होने का कारण यह है कि जब प्रतिमाजी भूगर्भ से निकलीं तब भगवान का मुख दक्षिण की ओर था, मंदिर बनाने से पूर्व मूर्ति का मुख पूर्वाभिमुखी करना चाहते थे परन्तु लोग इस कार्य में असफल रहे। प्रतिमाजी पर लिखी प्रशस्ति के अनुसार मूर्ति संवत् ११०० की प्रतिष्ठित है। सन् १९५० में इस क्षेत्र पर मूलनायक भगवान के अलावा कुछ नहीं था, चारों ओर झाड़ियाँ और वीरान जंगल था। सन् १९६० के बाद विकास का क्रम प्रारंभ हुआ और मंदिर के तीनों ओर कमरों का निर्माण हुआ जिसका श्रेय श्रीमान मोहनलाल जी भदावत को जाता है उन्हीं के अथक प्रयासों से यह कार्य सम्पन्न हुआ है। मूल मंदिर के बाहर की देवरियों में बाद में भगवान शांतिनाथ व भगवान पार्श्वनाथ की मूर्तियाँ विराजमान की गर्इं। क्षेत्र की विशेष प्रसिद्धि सन् १९९१ से हुई और विकास का क्रम तेज हुआ। विकास की इस शृंखला में सन् १९९३ व १९९६ में वैलाश पर्वत पर १७ फीट उत्तुंग भगवान आदिनाथ तथा भूत, वर्तमान व भविष्यत्काल के २४ तीर्थंकरों के जिनबिम्ब देवरिया बनवाकर विराजमान कराए गए। पद्म सरोवर का निर्माण कराकर फव्वारों के बीच कमल पर २१ फीट उत्तुंंग भगवान पार्श्वनाथ की प्रतिमा को विराजमान किया गया। मानस्तंभ एवं देवी पद्मावती माता के मंदिर का भव्य निर्माण हुआ तथा सन् १९९६ में भव्य पंचकल्याणक प्रतिष्ठा का आयोजन हुआ जिसमें सुमेरु पर्वत पर भगवान महावीर की ९ फीट पद्मासन प्रतिमा और चारों खंडों की चार दिशाओं के लिए १६ प्रतिमाजी प्रतिष्ठित कर विराजमान की गईं।
चमत्कार— यहाँ पर सभी की मनोकामनाएँ पूर्ण होती हैं। निर्धनों को धन, पुत्रहीनों को पुत्र व अनेक प्रकार की ऊपरी बाधाएँ दूर होकर प्राणी सब प्रकार से सुखी हो जाता है। समीपवर्ती तीर्थक्षेत्र श्री केशरिया जी, देवारी पार्श्वनाथ व ध्यान डूंगरी भीण्डर हैं। क्षेत्र पर उपलब्ध सुविधाएँ— क्षेत्र पर ५५ कमरे व ३ हाल हैं। सन् २००२-०३ में डीलक्स कमरों का निर्माण हुआ जो पूर्ण सुविधायुक्त बने हैं। सन् २००५ में विशाल भोजनशाला का निर्माण हुआ है जो नियमित चलती है और सशुल्क है।