सत् नारी का बलिदान कभी, इस युग में व्यर्थ नहीं जाता।
इनके बलिदानों के बल पर, हर देश नया गौरव पाता।।
क्या धर्मनीति क्या राजनीति, हर जगह सुखों की समता है।
भारत माता के साये में, सबको ही मिलती ममता है।।
हर माँ का आँचल ममता के, कोमल फूलों से भरा हुआ।
हर घर का आँगन संस्कारों के, कुन्द पुष्प से सजा हुआ।
इस देश की पावन धरती को, तुम जैसी माँ ने धन्य किया।
अपने गुण पुष्पों की खुशबू से, तुमने निज को धन्य किया।।
स्वर्णिम सुरभि ने मोहिनी के, अविनश्वर सुख को प्रगट किया।
है आज देश का भी मस्तक, इनके चरणों में झुका हुआ।।
अपने इन सीमित शब्दों से, माँ का कीर्तन क्या कर सकते।
बस इन्हीं प्रसूनांजलियों से, हम सदा इन्हें वंदन करते।।