सौंदर्य देखने वाले की दृष्टि में होता है। जिससे हमें बहुत अनुराग होता है उसको हम सुन्दर मानते हैं। अपनी माँ या दादी—नानी क्या आपको सुन्दर नहीं लगतीं ? लगती हैं, पर इन्होंने कोई कॉस्मेटिक तो प्रयोग किए ही नहीं। सूती साड़ी, ढका हुआ सिर और लाल सिदूर की बिदी; बस हो गया इनका व्यक्तित्व गरिमापूर्ण। जहाँ सौंदर्य की सारी परिभाषाएँ अपने अर्थ खोने लगती हैं, वह है आपका चितन, आपके मन की पवित्रताएँ, उमड़ता हुआ मातृत्व और जीवमात्र के प्रति करुणा। कृपया आप यह तर्व मत दीजिए कि मेरे अकेले के त्याग से कितने जीव बच जाएँगे ? यह सोचने का सबसे घटिया तरीका है। आपको यह संकल्प करना है कि आप बस ‘वही हैं’ जो जीवन में ठान लेते हैं, उसे पूरा करते हैं और आज पशुहित के लिए, जीवन के सम्मान के लिए बिना एक पैसा खर्च किए बस जरा—सा अपनी जीवनशैली को परिर्वितत करना है। यह न खरीदकर, वह खरीदना है। पिछले पृष्ठों की जानकारी से आपका मन प्रसाधनों के प्रति घृणापूर्ण उलझनों से भर गया होगा। ऐसा लग रहा होगा कि हमने आज तक कितनी हिंसा कर ली इस दगाबाज देह के लिए। घबराइए मत, जभी जाग जाओ तभी है सवेरा। इस सुप्रभात को . के नजरिए से देखें और गौरव सूची के अतिरिक्त, कुछ घर में ही तैयार किए गए पूर्णत: अिंहसक घरेलू सौंदर्य प्रसाधनों के बारे में जानें ….।
आफ्टर शेव- शेव करने के बाद फिटकरी का गीला किया हुआ टुकड़ा स्किन पर मलें।
क्लीजिंग मिल्क- एक बड़ा चम्मच दही और एक चाय की चम्मच नींबू का रस मिलाएँ और रूई की सहायता से चेहरे पर लगाएँ। थोड़ी देर बाद टिश्यू पेपर से चेहरा पोंछ लें।
डीओडॅरॅन्ट – आधी चाय की चम्मच पिसी हुई फिटकरी को २०० मिली गरम पानी में मिलाकर उपयोग करें।
डैन्ड्रफ क्योर (डैन्ड्रफ हटाने वाला) – चार चम्मच अजवाइन पानी में उबालें और छानकर ठंडा करें, फिर शैंपू किए हुए नम बालों में लगाएँ और धीरे—धीरे मालिश करें। फिर पानी से न धोएँ।
फेसपैक –एक चाय के चम्मच बेसन में थोड़ी—सी मलाई और पानी मिक्स करके चेहरे पर लगाएँ। १०—१५ मिनट के बाद धो दें। तैलीय त्वचा के लिए सप्ताह में दो बार मुल्तानी मिट्टी का फेस पैक उपयोग करें। इसका पेस्ट घमौरी को भी ठीक करता है।
फेशियल स्क्रब – ५० ग्राम जई के आटे में ३—४ चम्मच दूध मिलाकर पेस्ट बनाएँ और चेहरे पर लगाएँ। इसके बाद गरम पानी से चेहरा धो लें।
बालों का गिरना- शैंपू बदल दें, शुद्ध बिना सेंट मिला हुआ नारियल का तेल सिर पर १० दिन तक रोज घिसें और फिर इस प्रक्रिया को हफ्ते में एक बार दोहराते रहें। सिर धोने के बाद अंत में चाय के पानी (बिना चीनी और दूध का) से सिर धोने से बालों में चमक आती है।
बालों का तेल और कंडीशनर- एक किलो नारियल का चूरा लगभग ३ लीटर पानी में मिलाकर तक तक उबालें, जब तक कि तेल अलग होकर सतह पर न तैरने लगे। उसे छानकर ठंडा करके बोतल में भर लें। यह शुद्ध नारियल का तेल सर्वोत्तम हेयर कंडीशनर का काम करता है। रामदेव बाबा जी की योग संबंधी कक्षा में दोनों हाथों की चारों अंगुलियों के नाखूनों को लगभग पाँच मिनट तक आपस में घिसने से बाल काले, लंबे, घने हो जाते हैं।
हेयर स्प्रे – तीन नींबू लेकर थोड़े—से पानी में उबालें। जब छिलका नरम हो जाए, तो उनका रस निचोड़कर पानी में अच्छे से मिलाकर ठंडा करें और स्प्रे बोतल में भरकर उपयोग करें।
मसाज ऑइल – जैतून का तेल, सरसों का तेल।
मॉइश्चुराइिंजग लोशन – एक चुकंदर की पत्तियाँ दो कप डिस्टिल वाटर में १० मिनट उबालें। ठंडा होने के लिए छोड़ दें और एक बोतल में छानकर भर लें। वैसलीन और पेट्रोलियम जैली सबसे अच्छे त्वचा के नमीकारक होते हैं।
माउथ वॉश – एक चाय का चम्मच खाने का सोडा, इतना ही नमक एक गिलास गरम पानी में घोलें। फिर एक कप सिरका, १० लौंग और आधा कप सौंफ मिलाकर, इसे ठंडा करके माउथ वॉश के रूप में प्रयोग करें।
परफ्यूम –चमेली, चम्पा, मोगरा, गुलाब, चंदन, लेवेंडर आदि के प्राकृतिक सुगंधित तेल परफ्यूम का काम कर सकते हैं।
मुहाँसों से बचने के उपाय – तुलसी के पत्ते नींबू के रस के साथ पीस लें। यह पेस्ट चेहरे पर लगाने से मुहाँसों की रोकथाम होती है। सौंदर्य विशेषज्ञ डॉ. सिल्वी (राजस्थान पत्रिका, जयपुर, ११ अप्रैल २००१) के अनुसार कील—मुहाँसों से पीड़ित लोग २५० ग्राम मुल्तानी मिट्टी, इतना ही चंदन पाउडर व ५० ग्राम पिसी हुई हल्दी मिला लें। इसकी तीन चम्मच का पेस्ट तैयार कर उपयोग करें। इससे न केवल कील—मुहाँसे ही साफ होंगे, बल्कि चेहरे का रंग भी साफ हो जाएगा।
र्झुरियाँ रोकने का घरेलू नुस्खा – गाजर का पेस्ट और दूध र्झुरियों को रोकने में सहायक होते हैं।
टूथपेस्ट – तीन हिस्सा खाने का सोडा और एक हिस्सा पानी। यह विधि सिर्प वयस्कों के लिए उपयोगी है क्योंकि इसमें फ्लोराइड नहीं होता जो बच्चों के दाँतों के लिए आवश्यक है। # दाँतों से टार—टार और प्लाक हटाने के लिए १ टेबिल स्पून बेकिग पाउडर में एक चुटकी नमक मिलाएँ।
टोनर- एक चम्मच खीरे का रस, एक चम्मच टमाटर का रस, एक चम्मच नींबू का रस, एक चम्मच तरबूज का रस मिलाकर चेहरे पर लगाएँ। सौंदर्य बोध में पशुओं के वध जैसा पाशविक कृत्य तो संभव ही नहीं। आज तक इस संसार में जिस किसी को याद रखा गया तो उनको उनके गुणों के कारण ही स्मरण किया गया। जब उनके उदाहरण दिए जाते हैं, तो उनके सम्मान में हमारे सिर झुक—झुक जाते हैं—मीरा, सीता, सावित्री और मैना सुंदरी, मदर टेरेसा (भारत रत्न और नोबल पुरस्कार करुणा के लिए), इंदिरा गाँधी, किरण बेदी, मेनका गाँधी। सच्चा सौंदर्य तो आंतरिक होता है। इनके संतुलनपूर्ण सौंदर्य में कोई भी गैर—जरुरी कृत्य शामिल नहीं है, इनके कार्यों में विवेक है, ध्यान है, प्रेम और अनिवार्यता भी है। जैसे ही ये ‘दीप’ आपके मन में भी प्रदीप्त होते हैं, उनके प्रकाश से आपकी देह भी आभावान हो जाती है। इसे यूँ लाल—गुलाबी रंगों से रँगना नहीं पड़ता, ये रंग तो बस फूलों पर अच्छे लगते हैं। मेकअप तो कुरूप लोगों का आविष्कार है और दूसरे की देह को छिन्न—भिन्न करके राक्षसी वृत्ति से लीपा—पोती करके हम सुन्दर दिखें, इससे तो बेहतर यही है कि यदि हम कुरूप हैं, तो भी अच्छे हैं। वो जो आधे घंटे का समय शृंगार में लगाते हैं, उस समय का उपयोग ध्यान, योग, प्राणायाम में लगाएँ ताकि जो आभा प्रकट हो, उसे पूर्णत: अिंहसक तरीके से प्राप्त किया गया हो।
जीवन में एक लय हो, छंदबद्धताएँ हों, व्यक्तित्व में स्थिरता हो। आत्मविश्वास और आत्मा में विश्वास हो, चेहरे पर सौम्यता, भावों में निर्मलता और आत्म—सम्मान भी हो। एक आत्मा के हित में चितित जाग्रत बुद्धिमान को इससे ज्यादा और क्या चाहिए ? आज संकल्प कीजिए, शाकाहार को मंत्र की तरह जपिए। जिन सौंदर्य प्रसाधनों को की सूची में शामिल नहीं किया गया है, उनका उपयोग बंद कीजिए और कम—से—कम एक पत्र लिखिए उन उत्पादकों को जिनके उत्पाद प्राणिजन्य या प्राणियों पर परीक्षण किए हुए हैं। साबुन, क्रीम, शैंपू आप आज तक इस्तेमाल करते रहे और अब बंद कर रहे हैं क्योंकि आपकी भारतीय संस्कृति जीवन बचाने की प्रेरणा देती है, न कि जीवन छीनने की। अपना प्रयास जारी रखें, अपने मित्रों, रिश्तेदारों को अपनी सोच में शामिल करें। बस एक कदम मंजिल की राह में उठाएँ।