आषाढजोण्हपक्खछट्ठीए कुंडपुरणगराहिव-(कुंडलपुरणगराहिव……ध.आ.प. ५३५)णाहवंस-सिद्धत्थणरिंदस्स तिसिलादेवीए गब्भमागंतूणं तत्थ अट्ठदिवसाहिय-णवमासे अच्छिय चइत्त-सुक्सपक्ख-तेरसीए रत्तीए उत्तरफग्गुणीणक्खत्ते गब्भादो णिक्खंतो वड्ढमाणजिणिंदो। आषाढ़ महीना के शुक्लपक्ष की षष्ठी के दिन कुंडपुर (कुंडलपुर)नगर के स्वामी नाथवंशी सिद्धार्थ नरेन्द्र की त्रिशला देवी के गर्भ में आकर और वहाँ नौ माह आठ दिन रहकर चैत्र शुक्ला त्रयोदशी के दिन रात्रि में उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र के रहते हुए भगवान महावीर गर्भ से बाहर आये।
कुंडपुरपुरवरिस्सरसिद्धत्थक्खत्तियस्स णाहकुले।
तिसलाए देवीए देवीसदसेवमाणाए।।२३।।
अच्छिता णवमासे अट्ठ य दिवसे चइत्त-सियपक्खे।
तेरसिए रत्तीए जादुत्तरफग्गुणीए दु।।२४।।
कुंडपुर नगर के स्वामी सिद्धार्थ क्षत्रिय के घर, नाथकुल में, सैकड़ों देवियों से सेवमान त्रिसला देवी के गर्भ में आया और वहाँ नौ माह आठ दिन रहकर चैत्र शुक्ला त्रयोदशी की रात्रि में उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र के रहते हुए भगवान का जन्म हुआ।