(४०)
२१ से २६ नवम्बर २०१०
में संस्थान के सहयोग से गणिनीप्रमुख
आर्यिका श्री ज्ञानमती माताजी की दीक्षा भूमि माधोराजपुरा (जयपुर) राज. में
‘गणिनीप्रमुख श्री ज्ञानमती माताजी दीक्षा तीर्थ’ पर सम्मेदशिखर की अति सुन्दर प्रतिकृति का निर्माण करके चौबीस तीर्थंकर भगवन्तों की प्रतिमाओं से समन्वित चौबीस चैत्यालय एवं सबसे ऊपर भगवान पार्श्वनाथ की १५ उत्तुंग खड्गासन प्रतिमा का विशाल स्तर पर पंचकल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सव।
(४१)
सन् २०१०-२०११
में राष्ट्रीय स्तर पर
‘‘प्रथमाचार्य श्री शांतिसागर वर्ष’’
की घोषणा। जिसके उपरांत सफलतापूर्वक देशभर में इस वर्ष को मनाते हुए विभिन्न स्थानों पर बीसवीं सदी के प्रथम आचार्य महाराज का गुणगान कर उनके अवदानों को याद किया गया।
(४२)
१४ से २० फरवरी २०११
में संस्थान के सहयोग से
भगवान ऋषभदेव के जन्मस्थान
प्रथम टोंक-अयोध्या जी में अत्यन्त सुन्दर एवं कलात्मक जिनमंदिर का निर्माण करके
विशाल स्तर पर पंचकल्याणक
प्रतिष्ठा महोत्सव एवं भगवान ऋषभदेव महामस्तकाभिषेक का आयोजन।
(४३)
११ अक्टूबर २०११-अक्टूबर २०१२
में राष्ट्रीय स्तर पर
‘‘प्रथम पट्टाचार्य श्री वीरसागर वर्ष’’
के उपलक्ष्य में सफलतापूर्वक देशभर में विभिन्न स्थानों पर आचार्य महाराज
का गुणगान किया गया।
(४४)
२९ जनवरी से २ फरवरी २०१२
में श्री महावीर जी (राज.) के
महावीर धाम परिसर में
पंचबालयति दिगम्बर जैन मंदिर का
भव्य पंचकल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सव कर संस्थान द्वारा निरंतर मंदिर जी का संचालन।
(४५)
२४ फरवरी २०१२, फाल्गुन शु. तृतीया
को गणिनीप्रमुख श्री ज्ञानमती माताजी की प्रेरणानुसार पीठाधीश क्षुल्लकरत्न श्री मोतीसागर जी महाराज की
जन्मभूमि सनावद (म.प्र.) में
णमोकार धाम तीर्थ की स्थापना की गई। इससे पूर्व यहाँ स्थापित पंचपरमेष्ठी प्रतिमाओं की पंचकल्याणक प्रतिष्ठा फाल्गुन शु. पंचमी, सन् २०१० में जम्बूद्वीप-हस्तिनापुर तीर्थ पर सम्पन्न की गई।
(४६)
१५ से २० मई २०१३
में संस्थान के सहयोग से अंतर्राष्ट्रीय
ख्याति प्राप्त शिर्डी (महा.) में
‘‘ज्ञानतीर्थ’’
का विकास एवं तीर्थ पर निर्मित
८१ फुट ऊँचे कमल मंदिर में विराजमान
१५ फुट के पद्मासन भगवान पाश्र्वनाथ
का राष्ट्रीय स्तर पर
पंचकल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सव।
(४७)
५ से १० जुलाई २०१३
में संस्थान के सहयोग से शाश्वत तीर्थ
अयोध्या में भगवान अनंतनाथ जन्मभूमि टोंक पर विशाल जिनमंदिर निर्माण तथा
भव्य पंचकल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सव एवं महामस्तकाभिषेक का आयोजन।