(६४) सन् २०२० में जम्बूद्वीप-हस्तिनापुर तीर्थ पर अद्वितीय कृति के रूप में समवसरण रचना का निर्माण सम्पन्न हुआ। गणिनीप्रमुख श्री ज्ञानमती माताजी ससंघ के सान्निध्य में श्री सुभाषचंद-मंगला जैन साहू (जालना) के निमित्त से निर्मित इस रचना का पंचकल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सव तिथि माघ शु. षष्ठी से त्रयोदशी, ३१ जनवरी से ७ फरवरी २०२० में सानंद सम्पन्न हुआ।
(६५) ५ अगस्त २०२० को भारतवर्ष की समस्त जैन समाज का प्रतिनिधित्व करते हुए संस्थान के अध्यक्ष
पीठाधीश स्वस्तिश्री रवीन्द्रकीर्ति स्वामीजी को भारतीय संस्कृति के सर्वाधिक लोकप्रिय समारोह
‘‘भगवान राम जन्मभूमि शिलापूजन’’ कार्यक्रम में केन्द्र व राज्य सरकार द्वारा आमंत्रित किया गया। इस अवसर पर स्वामीजी ने कार्यक्रम में अपनी सहभागिता निभाकर इतिहास में जैन समाज के लिए अद्भुत एवं गौरवपूर्ण क्षण अंकित किए।
(६६) सन् २०२०-२०२१ में संस्थान द्वारा प्रज्ञाश्रमणी आर्यिका श्री चंदनामती माताजी के मार्गदर्शन में ऑनलाइन भगवान ऋषभदेव जूम चैनल के माध्यम से घर-घर में ऐतिहासिक धर्मप्रभावना एवं गणिनीप्रमुख श्री ज्ञानमती माताजी की वर्ष २०२० में ८७ दिवसीय और वर्ष २०२१ में ८८ दिवसीय ऑनलाइन जन्मजयंती समारोह का ऐतिहासिक आयोजन।
(६७) संस्थान के सहयोग से दिनाँक १६ से २० जून २०२१ तक भव्य महोत्सव के साथ ३१ फुट उत्तुंग भगवान भरत प्रतिमा की प्रतिष्ठापनापूर्वक ‘‘भगवान भरत ज्ञानस्थली दिगम्बर जैन तीर्थ, कनॉट प्लेस, नई दिल्ली’’, अन्तर्गत-जैन सभा, नई दिल्ली का नवनिर्माण एवं विकास।
(६८) १४ नवम्बर २०२१ को माननीय राष्ट्रपति श्री रामनाथ जी कोविन्द द्वारा सर्वोच्च जैन साध्वी गणिनीप्रमुख श्री ज्ञानमती माताजी को राष्ट्रपति भवन में सादर आमंत्रित किया गया। संस्थान के निमित्त से पूज्य माताजी संघ का राष्ट्रपति भवन में पदार्पण, राष्ट्रपति जी के साथ व्यक्तिगत वार्ता एवं उद्बोधन सभा में प्रवचन का आयोजन सानंद सम्पन्न हुआ। इस प्रकार संस्थान द्वारा सम्पूर्ण जैन समाज के लिए स्वर्ण अक्षरों में लिखे जाने योग्य
यह इतिहास निर्मित हुआ।
(६९) २८ मार्च २०२२ में संस्थान द्वारा जम्बूद्वीप-हस्तिनापुर तीर्थ में विश्वशांति त्रिमूर्ति मंदिर का ऐतिहासिक निर्माण। यह जिनमंदिर ३१-३१ फुट उत्तुंग भगवान शांति-कुंथु-अरहनाथ प्रतिमाओं से समन्वित, १५ हजार स्कवायर फुट के पिलर फ्री हॉल में निर्मित है। इसमें एक साथ ३००० लोग बैठकर भगवान का पूजन-दर्शन कर सकते हैं।
यह मंदिर ३ शिखर एवं १० सावरण शिखरों से युक्त है, जिसमें मध्य का प्रमुख सावरण ५० फुट के डायमीटर में अद्वितीय विशालता के साथ निर्मित किया गया है। इस मंदिर की वेदी भी ५६ फुट चौड़ी है और दरवाजे ३५ फुट ऊँचे विशाल हैं, जो आमतौर पर किसी मंदिर में देखने को नहीं मिलते हैं।
(७०) संस्थान के सहयोग से १५ जून से १० जुलाई २०२२ तक ऋषभगिरि-मांगीतुंगी पर्वत पर निर्मित विश्व की सबसे ऊँची १०८ फुट भगवान ऋषभदेव प्रतिमा का ऐतिहासिक ६ वर्षीय प्रथम अंतर्राष्ट्रीय महामस्तकाभिषेक महोत्सव सानंद सम्पन्न हुआ।