तर्ज-रंग बरसे भीगे चुनर वाली…….
रंग छलके ज्ञान गगरिया से रंग छलके…….. हो…..
रंग छलके ज्ञान गगरिया से रंग छलके…….हो……।।टेक.।।
जग को होली का रंग सुहाता-2
तुमको सुहाती ज्ञान गंग, जगत तरसे रंग छलके……हो……।।1।।
जग को सुहाती, जयपुर की चुनरिया-2
तुम्हें भाती चरित्र चुनरिया, जो मन हरषे रंग छलके……हो……।।2।।
जग को सुहाते, रत्नन के गहने-2
तुम्हें भाते ज्ञान के गहने, रतन बरसे रंग छलके……हो……।।3।।
जग को सुहाती, विषयों की लाली-2
तुमको सुहाती जिनवाणी, जगत झलके रंग छलके……हो……।।4।।
कहे ‘‘चन्दना’’ सब मिल आओ-2
हम भी सुनें जिनवाणी, ज्ञान बरसे रंग छलके…..हो…..।।5।।