सर्वसाधु पूजा स्थापना गीताछंद जो नित्य मुक्तीमार्ग रत्नत्रय स्वयं साधें सही। वे साधु संसाराब्धि तर पाते स्वयं ही शिव मही।। वहं पे सदा स्वात्मैक परमानंद सुख को भोगते। उनकी करे हम अर्चना, वे भक्त मन मल धोवते।।१।। ॐ ह्रीं णमो लोए सव्वसाहूणं सर्वसाधुपरमेष्ठिसमूह! अत्र अवतर-अवतर संवौषट् आह्वाननं। ॐ ह्रीं णमो लोए सव्वसाहूणं सर्वसाधुपरमेष्ठिसमूह! अत्र तिष्ठ…
महावीर की बाल सभा एवं सर्प क्रीड़ा (जन्मकल्याणक के दिन रात्रि में पालना एवं बालक्रीड़ा के पश्चात् मंच पर भगवान महावीर की यह बाल सभा बच्चों से प्रस्तुत कराएँ) राजमहल का दृश्य है, बीच¨ बीच में लगभग 8 वर्ष के बालक को महावीर के रूप में सुसज्जित करके सिंहासन पर बिठावें अर बगल की कुर्सी…
देवियों और माता मरुदेवी के गूढ़ प्रश्न एवं उत्तर 1. ‘श्रीदेवी’ का प्रश्न- तर्ज-एक परदेशी………………..। तेरे दर पे आके माता पूछूँ प्रश्न मैं, तेरे ज्ञान से भी बनूँ ज्ञानवान मैं। हे माता तेरे, गर्भ बसे प्रभु हैं, तीन ज्ञानधारी तीर्थंकर प्रभु हैं।। कौन सा प्राणी पिंजड़े में रहता, कौन कठोर शब्द करता है-शब्द करता है?…
राजदरबार का गीत तर्ज-लिया प्रभू अवतार………… लगा प्रभू दरबार, जय जयकार जय जयकार जय जयकार। अवध के राजकुमार, जय जयकार जय जयकार जय जयकार।। आज खुशी है आज खुशी है, हमें खुशी है तुम्हें खुशी है। खुशियाँ अपरम्पार, जय जयकार………………..।। लगा….।।1।। पुष्प और रत्नों की वर्षा, सुरपति करते हरषा-हरषा। बजे दुन्दुभी सार, जय जयकार………………..।।…
नवग्रह शांतिकारक नव बृहद् मंत्र १. ॐ नमोऽर्हते भगवते श्रीमते पद्मप्रभतीर्थंकराय कुसुमयक्ष-मनोवेगायक्षीसहिताय ॐ आं क्रौं ह्रीं ह्र: आदित्यमहाग्रह! मम (……….१) सर्वदुष्टग्रहरोगकष्टनिवारणं कुरु कुरु सर्वशांतिं कुरु कुरु सर्वसमृद्धिं कुरु कुरु इष्टसंपदां कुरु कुरु अनिष्टनिवारणं कुरु कुरु धनधान्यसमृद्धिं कुरु कुरु काममांगल्योत्सवं कुरु कुरु हूँ फट् स्वाहा। (७००० जाप्य) अथवा १. ॐ नमोऽर्हते भगवते श्रीमते पद्मप्रभतीर्थंकराय कुसुमयक्ष-मनोवेगायक्षीसहिताय ॐ…
विद्यमान बीस तीर्थंकरों के नाम एवं चिन्ह तीर्थंकर नाम चिन्ह १. सीमंधर जी बैल २. युगमंधर जी हाथी ३. बाहु जी बकरा ४. सुबाहु जी बन्दर ५. संजातक जी सूरज ६. स्वयंप्रभ जी चन्द्रमा ७. ऋषभानन जी शेर ८. अनन्तवीर्य जी हाथी ९. सूरप्रभ जी सूरज १०. विशालकीर्ति जी चन्द्रमा ११. वज्रधर जी शंख १२….