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निर्वाणकल्याणक गीत!

November 4, 2014भजन, विधानjambudweep

निर्वाणकल्याणक गीत


तर्ज-माई रे माई………..

ऋषभदेव निर्वाण महोत्सव, मिलकर सभी मनाएँ।

आओ इस भारत वसुधा पर, अगणित दीप जलाएँ।।

प्रभू की जय जय जय, प्रभू की जय जय जय जय जय।

कोड़ा-कोड़ी वर्ष पूर्व तिथि माघ कृष्ण चैदश थी।

अष्टापद से मोक्ष पधारे, ऋषभदेव जिनवर जी।।

तब स्वर्गों से इन्द्रों ने आ…………… तब स्वर्गों से इन्द्रों ने आ, दीप असंख्य जलाए।

आओ इस भारत वसुधा पर, अगणित दीप जलाएँ।।

प्रभू की जय जय जय, प्रभू की जय जय जय जय जय।।1।।

ऋषभदेव से महावीर तक, हैं चैबिस तीर्थंकर।

इन सबका उपदेश एक ही, धर्म अहिंसा हितकर।।

जिओ और जीने दो सबको…………… जिओ और जीने दो सबको, यह संदेश सुनाएं।

आओ इस भारत वसुधा पर, अगणित दीप जलाएँ।।

प्रभू की जय जय जय, प्रभू की जय जय जय जय जय।।2।।

सिद्धक्षेत्र की भक्ती करके, हम भी सिद्ध बनेंगे।

जब तक सिद्ध नहीं बनते, तब तक प्रभु भक्ति करेंगे।।

सभी ‘‘चन्दनामती’’ खुशी से……………… सभी ‘‘चन्दनामती’’ खुशी से, यही भावना भाएँ।

आओ इस भारत वसुधा पर, अगणित दीप जलाएँ।।

प्रभू की जय जय जय, प्रभू की जय जय जय जय जय।।3।।

Tags: mandal vidhan vidhi
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