राजा शान्तनु के पुत्र – पाराशर, पाराशर की स्त्रियां – गंगा और गुणवती गंगा से गांगेय पुत्र (भीष्म पितामह)
गुणवती से –व्यास, पुत्र, व्यास के तीन पुत्र-धृतराष्ट्र, पांडु और विदुर।
धृतराष्ट्र की गांधारी पत्नी से – दुर्योधन, दु:शासन आदि सौ कौरव पुत्र |
पाँडु के कुन्ती पत्नी से – युधिष्ठिर, भीम व अर्जुन तथा माद्री पत्नी से नकुल और सहदेव ये पाँच पाण्डव |
पांडव के चाचा गांगेय – कौरव-पाण्डव के पिता (व्यास) के बड़े भाई (कौरव पांडव के पितामह)
द्रोणाचार्य –कौरव, पाण्डवों के गुरु
हस्तिनापुर का राज्य – गांगेय द्वारा कौरव-पांडवों के लिए राज्य का आधा-आधा विभाग
कौरवों के दुव्र्यवहार –कूटनीति से लाक्षागृह में पांडवों को भेजना, पुन: उसमें छद्म से आग लगवाना
पांडवों का पुण्य – विदुर द्वारा बनवाई गई सुरंग से बाहर निकल जाना
द्रौपदी स्वयंवर –द्रौपदी की अर्जुन के गले में माला डालना किन्तु पापोदय से माला के पुष्प बिखरने से पंचभर्तारी का लोकापवाद।
कौरव पांडव मिलन – पांडवों का माकन्दीपुर से पुन: हस्तिनापुर आगमन
अर्जुन को लाभ –नारायण श्री कृष्ण की बहिन सुभद्रा से विवाह आदि।
जुआ व्यसन से हानि – कौरव-पांडव का जुआ खेलना, पांडवों की हार, पांडवों का बारह वर्ष तक वन प्रवास
द्रौपदी अपमान – दु:शासन द्वारा द्रौपदी का अपमान
महायुद्ध – राज्य हेतु कौरव-पांडवों का महाभयंकर संग्राम
युद्ध विजय – नारायण श्री कृष्ण द्वारा जरासंघ प्रतिनारायण का वध नारायण श्रीकृष्ण की विजय, पांडवों की विजय, दुर्योधन आदि कौरवों की हार
हस्तिनापुर राज्य –पांडवों द्वारा सुखपूर्वक पूर्ण राज्य का उपभोग
उपसर्ग विजय – पांडव दिगम्बर मुनि अवस्था में शत्रुंजय पर्वत पर ध्यानलीन थे, उस समय दुर्योधन के भानजे ‘कुर्युधर’ द्वारा लोहे के गरम-गरम आभूषण पहनाने के घोर उपसर्ग से तीन की मुक्ति और दो का सर्वार्थसिद्धिगमन। उपसर्ग, शंतिपूर्वक सहन करने से युद्धिष्ठिर, भीम, अर्जुन का अन्तकृत्केवली होकर मुक्ति गमन और नकुल सहदेव मुनि का सर्वार्थ सिद्धि गमन।
आज तक व्यतीत काल – लगभग छयासी हजार पाँच सौ वर्ष हुए हैं।