Jambudweep - 7599289809
encyclopediaofjainism@gmail.com
About Us
Facebook
YouTube
Encyclopedia of Jainism
Search
विशेष आलेख
पूजायें
जैन तीर्थ
अयोध्या
मेरे स्वप्नों की मंजिल का नहीं किसी से नाता
February 18, 2017
कविताएँ
jambudweep
मेरे स्वप्नों की मंजिल का नहीं किसी से नाता
मेरे मन का मोह हृदय का गीत किसे है भाता।
मेरे स्वप्नों की मंजिल का नहीं किसी से नाता।।
माँ की यादों के सागर में मैं नित विचरण करता।
हर प्यासी गागर अपने आँसू से भरता रहता।।
नहीं भूल पाता हूँ वह मधुरिम क्षण गीत सुनाता।
मेरे स्वप्नों की मंजिल का नहीं किसी से नाता।।
मैं अपने मुरझाये मन को कैसे हरा बनाऊँ।
सूनी बगिया में कोयल का गीत कहाँ से लाऊँ।।
मैं अपने आँगन को ही ममता से रीता पाता।
मेरे स्वप्नों की मंजिल का नहीं किसी से नाता।।
यही सोचकर कुछ मन को संतोष दिलाया करता।
होनी सो हो गई इसे ना टाल कोई भी सकता।।
गृह बंधन को तोड़ दिया बन गई जगत की माता।
मेरे स्वप्नों की मंजिल का नहीं किसी से नाता।।
एक नहीं सारा जग आकर झुकता तव चरणों में।
संयम की इस पदवी को है नमन किया इन्द्रों ने।।
मैं अपने श्रद्धा पुष्पों से नित नत करता माथा।
मेरे स्वप्नों की मंजिल का नहीं किसी से नाता।।
Tags:
Jain Poetries
Previous post
भगवान से प्रार्थना
Next post
आचार्य शांतिसागर परम्परा का पद्यमयी इतिहास
Related Articles
कर्म
October 26, 2014
jambudweep
भगवान अनंतनाथ वन्दना
January 18, 2020
jambudweep
सूरत शहर में ज्ञान की गंगा
April 18, 2018
jambudweep
error:
Content is protected !!