पूज्यश्री का नाम | परम पूज्य गुरुपदस्थ गणिनीप्रमुख आर्यिका १०५ श्रुतदेवी माताजी |
जन्मस्थान | कुरुंदवाड (कोल्हापुर) महा. |
जन्मतिथि व दिनाँक | १९६३ |
जाति | जैन चतुर्थ |
गोत्र | पाटिल |
माता का नाम | श्रीमति रत्नाबाई |
पिता का नाम | श्री धनपाल पाटील |
लौकिक शिक्षा | १० वीं कक्षा पास |
आजीवन ब्रह्मचर्य व्रत/प्रतिमा-व्रत ग्रहण करने का विवरण | १९८० द्वारा – श्री १०८ आचार्य रत्न बाहुबली जी महाराज |
क्षुल्लक/क्षुल्लिका दीक्षा तिथि, दिनाँक व स्थान | २८ नवम्बर, १९८४ (११) क्षुल्लक/क्षुल्लिका |
दीक्षा गुरु | परम पूज्य गुरुवर आचार्यरत्न बाहुबली जी महाराज |
आचार्य/उपाध्याय/गणिनी आदि पदारोहण तिथि व स्थान | ४ अक्टूबर २००९, गुरुपदस्थ पद, लोधी रोड, दिल्ला |
पदारोहणकर्ता | परम पूज्य गुरुवर आचार्यरत्न बाहुबली जी महाराज |
साहित्यिक कृतित्व | बालबोध भाग—४, वेचक मोती भाग—२, मोक्षशास्त्र मंजुषा कोण कुणाचे, छहढाला प्रश्नोत्तरी, एक थी राजकुमारी, मराठी, (हिन्दी) जयजैनाचार्य, नवनिधि, रत्नवृष्टि, बरसे रतन, वैर का अवसान, अमृत प्रवचन |
अन्य विशेष जानकारी | सिद्धांत ग्रंथों अध्ययन, जैन समाज को विशेषरूप से धर्म शिक्षा देना,विधि—वधान अनुष्ठान कराना, हर साल सवा करोड़ महामंत्र का जाप करना, प. पू. आचार्यरत्न बाहुबली जी महाराज की प्रेरणा से अढ़ाई द्वीप की रचना, एवं शिक्षण संस्था कार्य |
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