श्री ऋषभदेव के शासन में, आर्यिका मात अगणित मानी। उनके चरणों में नित्य नमूँ, ये संयतिका पूज्य मानी।। इनकी स्तुति पूजा करके, हम त्याग धर्म को भजते हैं। संसार जलधि से तिरने को, आर्यिका मात को नमते हैं।।३।। चौबीस तीर्थंकर के समवसरण की आर्यिकाओं की वंदना पचास लाख छप्पन सहस, दो सौ तथा पचास। समवसरण…
दिगम्बर जैन परम्परा में चतुर्विध संघ होता है, जिसमें मुनि, आर्यिका, श्रावक, श्राविका होते हैं। मुनि के समान ही आर्यिकाओं के भी अट्ठाईस मूलगुण होते हैं।
ज्ञानमती माता जी का परिचय एवं उनकी प्रेरणा से बने कई तीर्थों का वर्णन है इसमें |
आर्यिका श्री १०५ गुरुमति माता जी पूर्व का नाम : बाल ब्रह्मचारिणी सुमन जी पिता का नाम : स्व.श्री प्रभाचंद जी जैन (चौधरी) माता का नाम : …
आर्यिका श्री १०५ दृढ़मति माता जी पूर्व का नाम : बाल ब्रह्मचारिणी सुनीता जी पिता का नाम : श्री गुलाब चंद जी जैन (पटना वाले) माता का नाम : …
आर्यिका श्री १०५ मृदुमति माता जी पूर्व का नाम : बाल ब्रह्मचारिणी कुसुम जी पिता का नाम : श्री मुलायम चंद जी जैन (भारिल्य) माता का नाम : …