भगवान सुमतिनाथ के शासनयक्ष पुरुषदत्ता माता की आरती
तर्ज – मिलो न तुम तो ..सुमन ………………………
मात पुरुषदत्ता को ध्याएं , जगमग दीप जलाएं , हृदय में ज्योति जगाएं || टेक ० ||
सुमतिनाथ के शासन की , यक्षिणी कहातीं माता प्यारी हैं | |हो……….||
जिसने है ध्याया उसके , जीवन में फैली उजियारी है || हो……………..||
इसी हेतु तव भक्ति रचाएं , श्रद्धासुमन चढाएं , हृदय में ज्योति जगाएं || मात ० || १||
जिनधर्मवत्सल माता , रक्षण सदा भक्तों का करती हो || हो……………..||
धन, सुख व सम्पति देकर , झोली सदा तुम सबकी भरती हो || हो……..||
मनोकामना पूरण होती , जो जिनवर गुण गाएं , हृदय में ज्योति जगाएं || मात ० ||२ ||
मनभावनी हे माता, अर्चा तुम्हारी सुखकारी है ||
रूप है मनोहर महिमा , तेरी जगत में निराली है ||
”इंदू ” बस जिनधर्म न छूटे , मुक्ती तक इसे पाएं , हृदय में ज्योति जगाएं || मात ० ||३||