नारी तेरे कितने रूप नारायणी का तू प्रतिरूप!
मंदिर में तू प्रभु भक्ति करे
गृहमंदिर में पतिभक्ति करे
सबकी भक्ति के द्वारा तेरा निखरा सौन्दर्य रूप!
नारी तेरे कितने रूप!
तेरे योगदान को सामाजिक अपमान को देखा किसने माना किसने
तूने तो अपने हाथों से आज अपनी इमेज बनाई है
सभी क्षेत्रों में अपनी प्रतिभाशक्ति अनूप नारी तेरे कितने रूप!
तूने ज्ञानमती के रूप में ज्ञान का अलख जगाया है
चारित्र का स्वरूप बताया है ब्राह्मी का पथ दर्शाया है
अत: इन चरणों में झुकते भूप नारी तेरे कितने रूप!