तीन दशकीय राष्ट्रीय से अंतर्राष्ट्रीय स्वर्णिम कृतित्व
स्वस्तिश्री कर्मयोगी स्वामी जी के विशेष निर्देशन में दिगम्बर जैन त्रिलोक शोध संस्थान, जम्बूद्वीप-हस्तिनापुर का तीन दशकीय राष्ट्रीय से अंतर्राष्ट्रीय स्वर्णिम कृतित्व
(सन् १९७९ से २०११)हस्तिनापुर में जम्बूद्वीप रचना निर्माण के साथ तीर्थ परिसर में अनेक अद्भुत जिनमंदिरों के निर्माण कार्य, क्षेत्र प्रबंधन आदि विशेषताओं से प्रसिद्ध दिगम्बर जैन त्रिलोक शोध संस्थान ने जम्बूद्वीप रचना के तीस वर्षीय काल में सन् १९८१ से २०११ तक अनेक ऐसे कार्यकलाप सम्पन्न किए,
जिनके माध्यम से हस्तिनापुर का गौरव विश्वविख्यात हुआ और देश व विदेश के उच्च शिक्षा जगत, समाज सेवा एवं राजनैतिक क्षेत्र से जुड़े हुए अति विशिष्ट महानुभावों को भी हस्तिनापुर के जैन इतिहास से परिचित कराकर जैनधर्म की महती प्रभावना की है। अत: प्रस्तुत है सन् १९७९ से २०११ तक दिगम्बर जैन त्रिलोक शोध संस्थान द्वारा सम्पादित कतिपय मुख्य कार्यकलापों का संक्षिप्त परिचय-
(१) अप्रैल १९७९ में जम्बूद्वीप तीर्थ पर १०१ फुट ऊँचे सुमेरु पर्वत के भगवन्तों का पंचकल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सव।
(२) अक्टूबर १९८१ में जम्बूद्वीप-हस्तिनापुर स्थल पर ‘जम्बूद्वीप ज्ञान ज्योति सेमिनार’ का आयोजन।
(३) सन् १९८२ से १९८५ तक तत्कालीन प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी द्वारा उद्घाटित ‘जम्बूद्वीप ज्ञान ज्योति रथ’ का भारत भ्रमण।
(४) अप्रैल-मई १९८५ में जम्बूद्वीप जिनबिम्ब पंचकल्याणक प्रतिष्ठापना महोत्सव।
(५) अप्रैल सन् १९८५ में जम्बूद्वीप-हस्तिनापुर स्थल पर ‘जैन गणित और त्रिलोक विज्ञान’ विषय पर अंतर्राष्ट्रीय सेमिनार का आयोजन।
(६) सन् १९८७ में जम्बूद्वीप के पीठाधीश एवं गणिनी श्री ज्ञानमती माताजी के प्रमुख शिष्यों में एक क्षुल्लक श्री मोतीसागर जी महाराज की जम्बूद्वीप स्थल पर क्षुल्लक दीक्षा।
(७) सन् १९८९ में जम्बूद्वीप स्थल पर पूज्य गणिनी श्री ज्ञानमती माताजी की पथ-अनुगामिनी एवं आज्ञाकारिणी शिष्या बाल ब्र. माधुरी जैन की आर्यिका दीक्षा, जिनका नाम आर्यिका श्री चंदनामती माताजी है।
(८) सन् १९९२ में जम्बूद्वीप-हस्तिनापुर में ‘अंतर्राज्यीय चरित्र निर्माण संगोष्ठी’ का आयोजन।
(९) सन् १९९३ में संस्थान द्वारा अयोध्या में ‘भारतीय संस्कृति के आद्यप्रणेता भगवान ऋषभदेव’ विषय पर संगोष्ठी का आयोजन।
(१०) सन् १९९४ में प्रथम तीर्थंकर भगवान ऋषभदेव की जन्मभूमि अयोध्या में बड़ी मूर्ति स्थल पर विराजमान ३१ फुट उत्तुंग भगवान ऋषभदेव की खड्गासन प्रतिमा का महाकुंभ मस्तकाभिषेक महोत्सव। प्रति १० वर्षानुसार यहाँ सन् २००५ में भी महाकुंभ मस्तकाभिषेक सम्पन्न किया गया।
(११) अक्टूबर १९९५ में जम्बूद्वीप-हस्तिनापुर में ‘गणिनी आर्यिका श्री ज्ञानमती साहित्य संगोष्ठी’ का आयोजन।
(१२) अक्टूबर १९९७ में ४ से १३ अक्टूबर तक राजधानी दिल्ली में राष्ट्रपति डॉ. शंकर दयाल शर्मा द्वारा उद्घाटित ‘चौबीस कल्पद्रुम महामण्डल विधान’ का ऐतिहासिक आयोजन।
(१३) अप्रैल १९९८ में तत्कालीन प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी वाजपेयी द्वारा तालकटोरा स्टेडियम-दिल्ली से ‘भगवान ऋषभदेव समवसरण श्रीविहार रथ’ का भारत भ्रमण हेतु प्रवर्तन।
(१४) अक्टूबर १९९८ में जम्बूद्वीप-हस्तिनापुर में ‘राष्ट्रीय कुलपति सम्मेलन’ का आयोजन।
(१५) फरवरी २००० में तत्कालीन प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी वाजपेयी द्वारा लालकिला मैदान-दिल्ली में ‘भगवान ऋषभदेव अंतर्राष्ट्रीय निर्वाण महामहोत्सव वर्ष’ का उद्घाटन।
(१६) जून २००० में जम्बूद्वीप-हस्तिनापुर में ‘जैनधर्म की प्राचीनता’ विषय पर राष्ट्रीय सेमिनार का आयोजन।
(१७) अगस्त २००० में यू.एन.ओ.-न्यूयार्क (यू.एस.ए.) में आयोजित ‘विश्वशांति शिखर सम्मेलन’ में जम्बूद्वीप-हस्तिनापुर की ओर से संस्थान के अध्यक्ष कर्मयोगी ब्र. रवीन्द्र कुमार जैन द्वारा धर्माचार्य के रूप में प्रतिनिधित्व।
(१८) फरवरी २००१ में प्रथम तीर्थंकर भगवान ऋषभदेव की दीक्षा एवं केवलज्ञान भूमि प्रयाग-इलाहाबाद में ‘तीर्थंकर ऋषभदेव तपस्थली तीर्थ’ का ऐतिहासिक नवनिर्माण।
(१९) जनवरी २००१ में प्रयाग-इलाहाबाद के महाकुंभ मेले में विश्व हिन्दू परिषद द्वारा आयोजित नवम धर्मसंसद में पूज्य गणिनीप्रमुख श्री ज्ञानमती माताजी ससंघ द्वारा जैनधर्म का अद्भुत शंखनाद।
(२०) सन् २००३-२००४ में भगवान महावीर जन्मभूमि कुण्डलपुर (नालंदा) बिहार में ‘नंद्यावर्त महल तीर्थ’ का भव्य निर्माण एवं ‘भगवान महावीर ज्योति रथ’ का भारत भ्रमण हेतु प्रवर्तन।
(२१) दिसम्बर २००३ में भगवान मुनिसुव्रतनाथ की जन्मभूमि राजगृही (नालंदा) बिहार व भगवान महावीर स्वामी की निर्वाणभूमि पावापुरी (नालंदा) बिहार में जिनमंदिरों के निर्माण एवं विशाल प्रतिमाओं की स्थापना।
(२२) नवम्बर २००४ में गणधर गौतम स्वामी की निर्वाणभूमि गुणावां जी सिद्धक्षेत्र में जिनमंदिर का निर्माण।
(२३) सन् २००५-२००७ में ‘भगवान पाश्र्वनाथ जन्मकल्याणक तृतीय सहस्राब्दि महोत्सव’ का ६ जनवरी २००५ को बनारस में उद्घाटन एवं ४ जनवरी २००८ को अहिच्छत्र में समापन।
(२४) जनवरी २००५ में भगवान श्रेयांसनाथ की जन्मभूमि सिंहपुरी (सारनाथ) में पूज्य माताजी ससंघ के सान्निध्य मे भगवान श्रेयांसनाथ की विशाल प्रतिमा का भव्य पंचकल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सव।
(२५) दिसम्बर २००५ में शाश्वत तीर्थ सम्मेदशिखर जी में ९ फुट उत्तुंग भगवान ऋषभदेव की पद्मासन प्रतिमा से समन्वित सुन्दर कमल मंदिर का निर्माण।
(२६) अप्रैल २००६ में पूज्य गणिनीप्रमुख आर्यिका श्री ज्ञानमती माताजी के ‘आर्यिका दीक्षा स्वर्ण जयंती महोत्सव’ का राष्ट्रीय स्तर पर भव्य आयोजन।
(२७) अप्रैल-मई २००७ में तेरहद्वीप जिनबिम्ब पंचकल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सव।
(२८) अक्टूबर २००८ में पूज्य गणिनीप्रमुख आर्यिका श्री ज्ञानमती माताजी के हीरक जन्मजयंती महोत्सव का भव्य आयोजन।
(२९) दिसम्बर २००८ में २१ दिसम्बर को जम्बूद्वीप स्थल पर पूज्य गणिनी श्री ज्ञानमती माताजी के सानिध्य में महामहिम राष्ट्रपति श्रीमती प्रतिभा देवीसिंह पाटिल द्वारा ‘विश्वशांति अहिंसा सम्मेलन’ का उद्घाटन।
(३०) अगस्त २००९ में संसद भवन-दिल्ली में गृहमंत्री श्री प्रणव मुखर्जी द्वारा उद्घाटित ‘‘श्री जे.के. जैन अभिनंदन समारोह” का आयोजन।
(३१) वर्ष २००९ से इस संस्थान के अन्तर्गत भगवान महावीर जन्मभूमि कुण्डलपुर दिगम्बर जैन समिति के सहयोग से प्रतिवर्ष बिहार सरकार के पर्यटन एवं संस्कृति विभाग तथा जिला प्रशासन नालंदा द्वारा भगवान महावीर जन्मजयंती के अवसर पर ‘कुण्डलपुर महोत्सव’ का आयोजन किया जा रहा है।
(३२) फरवरी २०१० में जम्बूद्वीप स्थल पर ‘जम्बूद्वीप रजत जयंती महोत्सव’ के साथ भगवान शांतिनाथ-कुंथुनाथ-अरहनाथ की ३१-३१ फुट उत्तुंग विशाल खड्गासन प्रतिमाओं तथा नवनिर्मित तीनलोक रचना के भगवन्तों का ‘अंतर्राष्ट्रीय पंचकल्याणक प्रतिष्ठा एवं तीर्थंकरत्रय महामस्तकाभिषेक महोत्सव’।
(३३) मार्च २०१० में शोभित युनिवर्सिटी-मेरठ एवं जम्बूद्वीप संस्थान के संयुक्त तत्वावधान में ‘इंटरनेशनल कॉन्प्रेंस ऑन इण्डियन सिविलाइजेशन थ्रू मिलेनिया’ का सफल आयोजन।
(३४) जून २०१० में भगवान पुष्पदंतनाथ की जन्मभूमि काकंदी (देवरिया, निकट-गोरखपुर) उ.प्र. का ऐतिहासिक विकास कार्य करके विशाल जिनमंदिर एवं कीर्तिस्तंभ का निर्माण तथा मंदिर जी में सवा ९ फुट उत्तुंग भगवान पुष्पदंतनाथ की पद्मासन प्रतिमा का पंचकल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सव, शिखर कलशारोहण एवं ध्वजारोहण समारोह।
(३५) अक्टूबर २०१० में शरदपूर्णिमा महोत्सव के शुभ अवसर पर विश्व में प्रथम बार निर्मित तीनलोक रचना का भव्य उद्घाटन समारोह।
(३६) नवम्बर २०१० में गणिनीप्रमुख आर्यिका श्री ज्ञानमती माताजी की दीक्षा भूमि माधोराजपुरा (जयपुर) राज. में ‘गणिनीप्रमुख श्री ज्ञानमती माताजी दीक्षा तीर्थ’ पर सम्मेदशिखर की अति सुन्दर प्रतिकृति का निर्माण करके चौबीस तीर्थंकर भगवन्तों की प्रतिमाओं से समन्वित चौबीस चैत्यालय एवं सबसे ऊपर भगवान पाश्र्वनाथ की १५ उत्तुंग खड्गासन प्रतिमा का विशाल स्तर पर पंचकल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सव।
(३७) फरवरी २०११ में भगवान ऋषभदेव के जन्मस्थान प्रथम टोंक-अयोध्या जी में अत्यन्त सुन्दर एवं कलात्मक जिनमंदिर का निर्माण करके विशाल स्तर पर पंचकल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सव एवं भगवान ऋषभदेव महामस्तकाभिषेक का आयोजन।