विगत २० नवम्बर २०११ को परमपूज्य गणिनीप्रमुख श्री ज्ञानमती माताजी द्वारा कर्मयोगी ब्र. रवीन्द्र कुमार जैन को जम्बूद्वीप धर्मपीठ का नूतन पीठाधीश पदारोहण करके उन्हें स्वस्तिश्री कर्मयोगी पीठाधीश रवीन्द्रकीर्ति स्वामी जी के नाम से अलंकृत किया है।
माताजी के इस आशीष फल के वे एकमात्र अधिकारी हैं। मेरा परम सौभाग्य है कि मैं ऐसे शुभ एवं गरिमापूर्ण क्षणों का साक्षी बन पाया। पूज्य श्री ज्ञानमती माताजी के धार्मिक प्रभावनापूर्ण संकल्पों, सपनों तथा उद्देश्यों को मूर्तरूप देने में बहुमुखी प्रतिभा के धनी ब्र. रवीन्द्र कुमार जैन जी की एकलव्यता, कर्तव्यनिष्ठता तथा समर्पणभाव का महत्वपूर्ण योगदान रहा है।
वर्तमान में जम्बूद्वीप को एकाधिकार प्राप्त भव्यता एवं सौन्दर्यता जो ना केवल जैन समाज को अपितु पूरे जनमानस को अपनी ओर आकर्षित किए हुए है, इसका समस्त श्रेय ब्र. रवीन्द्र कुमार जैन जी के धर्मभाव, दूर दृष्टिता, दिशानिर्देश, मृदुभाषिता तथा पूज्य माताजी के सान्निध्य को जाता है।
कर्मयोगी ब्र. रवीन्द्र कुमार जैन जी द्वारा विगत अनेक वर्षों से माताजी के निर्देश एवं सान्निध्य में जन-जन से संपर्क करना केवल जम्बूद्वीप में ही नहीं, अपितु बिहार, झारखंड, उत्तरप्रदेश आदि में नवीन मंदिरों की स्थापना तथा तीर्थंकरों की जन्मभूमि पर स्थित पुराने जिनालयों के जीर्णोद्धार आपके अथक प्रयासों से ही संभव हो पाये हैं।
मांगीतुंगी में भगवान आदिनाथ की १०८ फुट की प्रतिमा का निर्माण आपके दिशानिर्देश व अध्यक्षता में हो रहा है। आपके इस पुनीत श्रम के प्रति समस्त दिगम्बर जैन समाज सदैव ऋणी रहेगा। जैनधर्म के इतिहास के पन्नों पर आपका नाम स्वर्णाक्षरों में अंकित होगा। हृदय की गहराइयों से अपनी समस्त शुभकामनाएँ कर्मयोगी पीठाधीश रवीन्द्रकीर्ति स्वामी जी के सम्मान में प्रेषित करता हूँ।
पुण्योदयवश जिन्हें गणिनीप्रमुख पूज्य ज्ञानमती माताजी का अमृत प्रसाद ‘‘स्वस्ति श्री कर्मयोगी पीठाधीश स्वामी जी’’ का सम्मान प्राप्त हुआ। आशा ही नहीं अपितु पूर्ण विश्वास है कि स्वामी जी के मार्गदर्शन में जम्बूद्वीप धर्मपीठ एवं समस्त भारत के जैन तीर्थ नई ऊँचाईयों को स्पर्श करते हुए अपने उद्देश्यों को प्राप्त करेंगे। पुन: प्रेरणापुंज श्री ज्ञानमती माताजी तथा स्वस्तिश्री कर्मयोगी पीठाधीश रवीन्द्रकीर्ति स्वामी जी को मेरा हार्दिक शत-शत नमन, अभिनंदन।