अशोक-पिताजी! आज सड़क पर एक मरणासन्न गाय पड़ी हुई साँस ले रही थी और कुछ महिलायें उसे णमोकार मन्त्र सुना रही थीं।ऐसा सुनाने से क्या होता है?
पिताजी-बेटा अशोक!मरणासन्न अथवा दुःखी किसी भी प्राणी को णमोकार मन्त्र सुनाने से बहुत ही पुण्य होना है और वह जीव मरकर स्वर्गादि के अभ्युदय को प्राप्त कर लेता है।सुनो!मैं तुम्हे इस सम्बन्ध में एक कथा सुनाता हूँ।
महापुर नगर के एक जैनधर्म के श्रद्धालु पद्ममरूचि सेठ किसी समय घोड़े पर चढ़कर अपने गोकुल की तरफ जा रहे थे।उन्होंने उस समय पृथ्वी पर पड़े हुए एक बूढ़े बैल को देखा।पद्ममरूचि घोड़े से उतरकर दया बुद्धि से उसके पास बैठकर कान में णमोकार मन्त्र सुनाने लगे।उस मन्त्र को सुनते हुए बैल की आत्मा शरीर से निकल गई और मन्त्र के प्रभाव से उसी नगर के राजा छत्रच्छाय की रानी श्रीदत्ता के गर्भ में आ गई व नवमास के बाद पुत्र के रूप में उत्पन्न हो गया।उसका नाम वृषभध्वज रखा गया।