अष्टमी क्रिया
‘‘स्यात् सिद्धश्रुतचारित्रशांतिभक्त्यष्टमी क्रिया।
अर्थात् प्रत्येक मास की दोनों अष्टमी तिथि के दिन जैन साधु-साध्वियां ’’ सिद्धभक्ति, श्रुतभक्ति, सालोचना चारित्रभक्ति और शांतिभक्ति ऐसी चार भक्तियां करें, ऐसा मूलाचारादि संहिताग्रन्थों में कहा है ।
उसकी विधि इस प्रकार है-
नमोऽस्तु अष्टमीपर्वक्रियायां…..सिद्धभक्तिकायोत्सर्गं करोम्यहं।
(पंचांग नमस्कार करके तीन आवर्त एक शिरोनति करके सामायिक दण्डक पढ़कर पुनः तीन आवर्त एक शिरोनति करें। अनन्तर २७ उच्छ्वास में ९ बार मंत्र जपकर तीन आवर्त एक शिरोनति करके थोस्सामि स्तव पढ़कर पुनरपि तीन आवर्त एक शिरोनति करके सिद्धभक्तिपढ़ें।)