सालत्तयपरिअरिया पीढत्तयउवरि माणथंभा य।
चत्तारो चत्तारो एक्केक्के चेत्तरुक्खम्मि।।८०९।।
एक-एक चैत्यवृक्ष के आश्रित तीन कोटों से वेष्टित व तीन पीठों के ऊपर चार-चार मानस्तम्भ होते हैं।।८०९।। (तिलोयपण्णत्ति,पृ॰ २४८)