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गणिणी णाणमदीए विणयञ्जलि
July 7, 2017
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ज्ञानमती माताजी
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गणिणी णाणमदीए विणयञ्जलि
(गणिनी ज्ञानमती माताजी की स्तुतियाँ)
पणमिय सिखिसहजिणं पुणु वट्टमाण चोवीस जिणं।
सुमरिय पुणु सिरि चउसरणं विणउ करिमि पुणु णाणमदिं।।
जाणमि हुउँ ण वायरणु छंदु बालो म्हि पुणु जिणतच्चणाणें।
पर कित्तिउं लग्गमि कलिकालसरासइं गणिणी णाणमदिं तच्चणाणमदिं।।
तुहुं कलिकालसरासइ बम्हु विसिट्ठु कलिकालें दिट्ठु।
सिट्ठिं करेइ कलिकलुसणासें ओयरिय एत्थु जगि बालें।।
सिक्खिया लोयववहारू सिक्खिया जिणधम्मसारु।
विरत्ता लोयववहारें पत्ता परमजिणदिक्खसारु।।
तिक्खमदि णाणमदिपुण्णें सिक्खिया सयलतच्चसारु।
विहरिया सयल भरहखण्डें सिक्खिया सयलभरह भासा।।
उवदिसिय सयलत्थसारु पाविया सयलजणमाणा।
आगमा छक्खण्ड सिद्धंतु विरइया वक्खाणु सक्कदा भासें।।
गंगा-जउणाउ खेत्तें णिम्माविया सिरिजम्बद्दीउ।
पुणु णिम्मावियउ तुहुँ सिरि वसहजिण वरभव्व चेदिहरु।।
पडिगहाविउ सीसाण दिक्खु विरइयउ अज्जिया संघु।
हूयउ सिरि संघस्स गणिणी मण्णिया विउसाण जणणी।।
पयडियउ जिणधम्म तित्थु सयलजण आणंदु पत्तु।
गणिणी णाणमदी! तुहुं विण्णाणमदी परिहरिय लोयाण मिच्छ भावं।।
हूयउ तुह जम्मु सच्चु, वंदेमि तुहुं विणयंजलिभरिय हियएँ।
जयउ जिणसासणु जयउ गणिणी जाणमदी।।
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Pravchan's Gyanmati Mataji
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