Jambudweep - 7599289809
encyclopediaofjainism@gmail.com
About Us
Facebook
YouTube
Encyclopedia of Jainism
Search
विशेष आलेख
पूजायें
जैन तीर्थ
अयोध्या
विनयांजलि:
July 7, 2017
Workshop of Books
,
ज्ञानमती माताजी
jambudweep
विनयांजलि:
बसंततिलका छंद
पुण्योदय: सुविशदो हि यदा धराया:, जाता धराऽविकलचन्द्रयुता तदा सा।
संस्कारिता सरलशुद्धविशुद्धभावै:, जीयाच्चिराय गणिनी जिनशासनार्या।।१।।
अष्टादशेऽल्पवयसि प्रतिमा: गृहिता:, श्रीवीरसागरगृहीतसुभव्यदीक्षा।
निर्दोषपालितमहाव्रतशासनाढ्या, जीयाच्चिराय गणिनी जिनशासनार्या।।२।।
पूजाविधानलिखिता विविधा सुशब्दै:, टीका: कृता: समुहतां स्वधिया समीक्ष्य।
संज्ञाऽनुसारविहितं बहुलेखकार्यं, जीयाच्चिराय गणिनी जिनशासनार्या।।३।।
निर्माणकार्यमतिसुन्दरवास्तुरूपं, प्राचीनमन्दिरगतं नवनूतनत्वम्।
निर्देशनेन रचित: प्रियमध्यलोक: जीयाच्चिराय गणिनी जिनशासनार्या।।४।।
वात्सल्यभावभरितं सदयं नु चित्तं, वाणी प्रिया मधुरशान्तहितान्विता च।
वृत्ति: क्षमादिगुणभूषितशंप्रधाना, जीयाच्चिराय गणिनी जिनशासनार्या।।५।।
अनुष्टुप्
पञ्चज्ञानात्मिकायै हि, पञ्चश्लोकात्मिकेयमो।
दीक्षास्वर्ण जयन्त्यां वै, अप्र्यते विनयाञ्जलि:।।
Tags:
Swadhyaya
Previous post
28. राजगृही तीर्थ का महत्त्व
Next post
द्वादशांग का विषय
Related Articles
कहकोसु में वर्णित सामाजिक चिंतन
July 14, 2017
jambudweep
आत्मानुशासन में आत्मस्वरूपीमीमांसा
July 11, 2017
jambudweep
निमित्त-उपादान
July 7, 2017
jambudweep
error:
Content is protected !!