हे मानव! पलभर के लिए अपने अंदर के,
मन मंदिर में झांक, मन, विचार,
वाणी व कर्म की शुद्धि कर,
और देख तेरा परमात्मा तो तेरे अंदर है।।१।।
हे मानव ! पल भर के लिये, मोह,
अंधकार और छलकपट को त्याग, क्रोध, लोभ से मुक्त हो,
वैर—भाव, राग—द्वेष, नफरत को छोड़
अपने मन—मंदिर में झांक, तेरा परमात्मा तो तेरे अंदर है।।२।।
हे मानव! पल भर के लिए विचार कर,
कुछ अच्छा किया ओरों के लिए, लेकिन अहसान मत जता,
गर्व न कर, निष्काम कर्म कर, ओर मन—मंदिर में झांक,
तेरा परमात्मा तो तेरे अंदर है।।३।।
हे मानव! अनुकूल, प्रतिकूलता में, मित्र—शत्रु में,
हानि—लाभ में, सुख—दुख में, मान—अपमान में,
समता रख, सहज बन, और मन—मंदिर में झांक,
तेरा परमात्मा तो तेरे अंदर है।।४।।,,