तर्ज-एक परदेशी…………
प्रभु ऋषभदेव का आहार हो रहा, हस्तिनापुरी में जयजयकार हो रहा।।
प्रथम प्रभू का प्रथम पारणा, प्रथम बार जब हुआ महल में।। हुआ…..।।
पंचाश्चर्य की वृष्टि हुई थी, चैके का भोजन अक्षय हुआ तब।। अक्षय…..।।
भक्ती में विभोर सब संसार हो रहा, हस्तिनापुरी में जयजयकार हो रहा।। प्रभू…..।।1।।
भरत ने नगरि अयोध्या से आकर, श्रेयांस का सम्मान किया था।। श्रेयांस…..।।
दानतीर्थ के प्रथम प्रवर्तक, कहकर उन्हें बहुमान दिया था।। बहुमान…..।।
राजा के महलों में मंगलाचार हो रहा, हस्तिनापुरी में जयजयकार हो रहा।। प्रभू…..।।2।।
सब मिलकर अक्षय तृतिया को, आहार दान का पर्व मनाओ।
गुरुओं को आहार दे ‘चन्दनामति’, सबको गन्ने का रस भी पिलाओ।।….
.रस भी पिलोओ।। देखो कैसा धर्म का प्रचार हो रहा, हस्तिनापुरी में जयजयकार हो रहा।। प्रभू…..।।3।।