एक बकरी का छोटा सा मेमना (बच्चा) बहुत ही शरारती था। उसकी माँ दिन भर उसके आगे पीछे भागती रहती, उसे शरारतें करने से मना करती। लेकिन वह अपनी माँ का कहना नहीं मानता था एक सुबह मेमना ने जंगल में जाने का सोचा उसकी माँ हमेशा उसको जंगल में जाने को मना करती थी क्योंकि वहां खूंखार जानवर रहते थे वह चुपचाप माँ को बिना बताए जंगल में चला गया। माँ पीछे से आवाज लगाती रही पर वह नहीं माना। ‘ माँ तुम चिंता मत करों मैं जल्दी ही आ जाऊँगा।’ वह दिनभर जंगल में उछलता कूदता रहा। जब उसको अपनी माँ की याद आई वह वापस जाने की सोचने लगा। जंगल घना था वह रास्ता भटक गया । काफी देर रास्ता खोजता रहा फिर रोने लगा। उसकी आवाज सुनकर एक भेड़िया आया। उसने मेमने पर एक झपट्टा मारा । मेमना बार—बार यही सोचता रहा कि काश माँ का कहना माना होता तो इस प्रकार उसको मृत्यु को गले न लगाना पड़ता। बच्चों! बड़ों का कहना न मानने की सजा मेमने को किस तरह मिली उसको अपने प्राणों से हाथ धोना पड़ा। बड़ों की कहीं बातों के पीछे जीवन भर के अनुभव का सार होता है, हमें उनकी बातों को ध्यान से सुनना चाहिए और उनके बताएं रास्ते पर चलना चाहिए।