क्या आपको पता है कि हमारे देश से मांस का निर्यात किया जाता है । जो विगत ३ वर्ष में ही करीब दुगना हो गया है। यूं तो विभिन्न जानवरों व पक्षियों मुर्गें आदि का मांस निर्यात किया जा रहा है, लेकिन मैं सिर्फ भैंस—मांस निर्यात की बात आपके सामने रखना चाहता हूँ । पशुपालन विभाग, भारत सरकार की वेबसाइट के अनुसार २००७ की पशुगणना के अनुसार हमारे देश में १,९९,०७५ हजार कुल पशुधन था १०.५३ करोड़ भैंसे नर व मादा दोनों थी। खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय एवं कृषि एवं प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण की वैवसाइट के आंकडों के अनुसार वर्ष २०१०—११ में ४.८ व वर्ष २०११—१२ में ५.५ मिलियन टन मांस का निर्यात किया जाता है। जिसमें अकेले भैंसे के मांस का निर्यात वर्ष २०११—१२ में ९८,५४,९१,२७४ किलोग्राम, वर्ष २०१३—१४ में बढ़कर १४,४९,७५५८,६४ मीट्कि टन अर्थात् १४.५० लाख टन भैंस मांस का निर्यात किया गया है।
मांस निर्यातकों को एक भैंस से औसतन ११० किलोग्राम की प्राप्ति होती है, इस प्रकार हम देखें तो २०१३—१४ में करीब १.३२ करोड़ । एक करोड़ बत्तीस लाख। भैंसों का कत्ल सिर्फ मांस निर्यात के लिये किया गया है। आंकड़ों के अनुसार हमारे देश में कुल १०.५३ करोड़ भैंस थी, जिनमें से ५ करोड़ भैसों की संख्या में वृद्धि जा रही है। बन्धुओं, हम सब शाकाहारी हैं तथा हम सभी को अपने लिये दूध की आवश्यकता रहती है दूध प्राप्ति में दो—तिहाई हिस्सा दूध भैंसों से प्राप्त होता है। माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने माना है कि आजकल करीब ६८ प्रतिशत दूध कैमिकल से तैयार हो रहा है एवं यू.पी. के पंचायत मंत्री श्री कैलाश यादव ने इस तथ्य को विधानसभा में स्वीकार किया है कि उ.प्र. एवं पूरे देश में सिंथेटिक दूध बन रहा है एवं बिक रहा है। जिससे आम आदमी के स्वास्थ्य को खतरा है, सरकार के ही वरिष्ठ मंत्री आजम खां का कहना है कि दूध के एक सैम्पिल में एक बूंद भी दूध नहीं मिला।
ऐसी परिस्थिति में आप विचार करें कि यदि हमारे देश से भैंसों का मांस निर्यात इसी कदर होता रहा तो चन्द वर्षों में ही भैंसे दूध प्राप्ति के लिए उपलब्ध नहीं रहेगी। एवं हमारे बच्चों को १०० रू. प्रति लीटर में भी दूध नसीब नहीं होगा। इसके अतिरिक्त एक बात और आपको अवगत कराना चाहता हूँ । कि भारत सरकार वर्ष ७०/— रूपये किलों की दूर से मांस निर्यातकों को ट्रांसपोर्ट सब्सिडी दी गई है, जिसकी गणना की जावे तो १४.५० लाख टन मांस पर करीब १०,१५० हजार करोड़ रूपये सब्सिडी के रूप में दिए गये हैं। हमारे माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने दिनांक १५-५-२०१४ को अहमदाबाद की जनसभा में यह कहा था कि मटन, मांस पर हजारों करोड़ रूपये की सब्सिडी क्यों। अत: मेरा आपसे अनुरोध है कि आप माननीय प्रधानमंत्री, वित्त मंत्री, वाणिज्य मंत्री एवं खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्री, भारत—सरकार एवं उसमें दी जाने वाली प्रत्येक प्रकार की छूट, जिसमें आयकर भी सम्मिलित है, को बंद किया जाने की मांग करें। इतना ही संभव न हो सके तो अपने नाम के आगे कृपया ‘जैन’ लिखना बंद कर दें।