प्रश्न १ :- बारह अंगों एवं चौदह पूर्व से समन्वित जिनवाणी माता के पैरों को क्या बताया है ? (१) उपासकाध्ययनांग (२) सूत्रकृतांग (३) विपाकसूत्र अंग (४) व्याख्याप्रज्ञप्ति उत्तर:- विपाकसूत्र अंग
प्रश्न २:- राजा श्रीषेण का जीव भोगभूमि से चयकर सौधर्म स्वर्ग के श्रीप्रभ विमान में…………नाम का देव हुआ। (१) श्रीकांत (२) श्रीप्रभ (३) श्रीधर (४) श्रीविजय उत्तर:- श्रीप्रभ
प्रश्न ३:- चौबीस तीर्थंकरों में से कितने तीर्थंकर इक्ष्वाकुवंश में उत्पन्न हुए हैं ? (१) २४ (२) १८ (३) १९ (४) १७ उत्तर:- १७
प्रश्न ४ :- मनुष्यों का ग्यारहवाँ प्राण किसे माना गया है ? (१) पुत्र को (२) धन सम्पदा को (३) कुटुम्ब को (४) स्त्री को उत्तर:- धन सम्पदा को
प्रश्न ५ :- निखण्डित प्रत्याख्यान और अनाकार प्रत्याख्यान में क्या भेद है ? (१) जीवन पर्यन्त के लिए चार प्रकार के आहार का त्याग करना निखण्डित प्रत्याख्यान और मार्गविषयक प्रत्याख्यान अनाकार प्रत्याख्यान है। (२) हेतु सहित उपवास निखण्डित प्रत्याख्यान और स्वेच्छा से उपवास करना अनाकार प्रत्याख्यान है। (३) पाक्षिक आदि में अवश्य किए जाने वाले उपवास का करना निखण्डित प्रत्याख्यान और स्वेच्छा से उपवास करना अनाकार प्रत्याख्यान है।
(४) भेद सहित उपवास करना निखण्डित प्रत्याख्यान और पाक्षिक आदि में अवश्य किये जाने वाले उपवास का करना अनाकार प्रत्याख्यान है। उत्तर:- पाक्षिक आदि में अवश्य किए जाने वाले उपवास का करना निखण्डित प्रत्याख्यान और स्वेच्छा से उपवास करना अनाकार प्रत्याख्यान है।
प्रश्न ६:- कर्तृत्व और भोक्तृत्व में क्या अन्तर है ? (१) जीव का अपने स्वभाव में स्थित होना कर्तृत्व और कर्मजनित पापों का प्रतिक्षण विनष्ट होना भोक्तृत्व है। (२) आत्मा को सर्वथा अकर्ता मानना कर्तृत्व और अभोक्ता मानना भोत्तृत्व है। (३) पुद्गल का स्कंधरूप परिणत होना कर्तृत्व और कर्मों की उपाधि से रहित होना भोक्तृत्व है। (४) जीव का प्रतिसमय कर्मों को ग्रहण करना उन कर्मों का कर्तृत्व है और प्रतिसमय पौद्गलिक कर्म का उदय में आना भोक्तृत्व है। उत्तर:- जीव का प्रतिसमय कर्मों को ग्रहण करना उन कर्मों का कर्तृत्व है और प्रतिसमय पौद्गलिक कर्म का उदय में आना भोक्तृत्व है।
प्रश्न ७ :- चारित्र किसे कहते हैं ? (१) निग्र्रन्थ दीक्षा का लेना चारित्र है। (२) अशुभ कार्यों से बचना और अच्छे कार्यों में लगना चारित्र है। (३) संसार, शरीर और भोगों से विरक्त होना चारित्र है। (४) सच्चे देव, शास्त्र, गुरु की भक्ति करना चारित्र है। उत्तर:- अशुभ कार्यों से बचना और अच्छे कार्यों में लगना चारित्र है।
प्रश्न ८ :- आचार्यश्री पद्मनन्दि स्वामी ने एकत्व भावना और स्वयं को किसकी उपमा दी है ? (१) एकत्व भावना को लवण समुद्र की और स्वयं को जम्बूद्वीप की (२) एकत्व भावना को मोक्षपद की और स्वयं को संसाररूपी समुद्र की (३) एकत्व भावना को गंगा नदी की और स्वयं को ऊँचे हिमवान पर्वत की (४) इनमें से कोई नहीं उत्तर:- एकत्व भावना को गंगा नदी की और स्वयं को ऊँचे हिमवान पर्वत की
प्रश्न ९ :- रत्नत्रयादि अभिषेक पाठ के रचनाकर्ता कौन हैं ? (१) श्री पूज्यपाद स्वामी (२) आचार्य सकलकीर्ति (३) पण्डित आशाधर सूरि (४) श्री सोमदेव सूरि उत्तर:- आचार्य सकलकीर्ति
प्रश्न १०:- भगवान जिनेन्द्र की पूजा कितने प्रकार से की जाती है ? (१) ५ प्रकार से (२) ८ प्रकार से (३) २१ प्रकार से (४) ११ प्रकार से उत्तर:- २१ प्रकार से
प्रश्न ११ :- एक जिनेन्द्र भगवान का नग्नरूप, दूसरा उत्कृष्ट श्रावकों का रूप और तीसरा………..इस प्रकार जिनशासन में तीन लिंग कहे गए हैं। (१) मुनियों का रूप (२) आर्यिकाओं का रूप (३) सम्यग्दृष्टि का रूप (४) इनमें से कोई नहीं उत्तर:- आर्यिकाओं का रूप
प्रश्न १२ :- तीर्थंकर भगवान के समवसरण में स्थित बारह सभाओं में से सातवीं सभा में कौन बैठते हैं ? (१) आर्यिका और श्राविका (२) कल्पवासी देव (३) भवनवासी देव (४) भवनवासिनी देवी उत्तर:- भवनवासी देव
प्रश्न १३:- ‘कषायपाहुड’ गाथासूत्र पर चूर्णिसूत्र की रचना करने वाले आचार्य का क्या नाम है ? (१) श्री गुणधर आचार्य (२) श्री वीरसेनाचार्य (३) श्री जिनसेनाचार्य (४) श्री यतिवृषभाचार्य उत्तर:- श्री यतिवृषभाचार्य
प्रश्न १४ :- षट्खण्डागम ग्रंथराज पर कितनी टीकाएँ लिखी गर्इं ? (१) १२ टीकाएँ (२) ८ टीकाएँ (३) ६ टीकाएँ (४) ५ टीकाएँ उत्तर:- ६ टीकाएँ
प्रश्न १५ :- जब तक मुनि सविकल्प अवस्था में हैं उनके लिए………समान रूप से उपादेय हैं। (१) व्यवहारनय (२) दोनों नय (३) निश्चय नय (४) इनमें से कोई नहीं उत्तर:- दोनों नय
प्रश्न १६ :- सरागचारित्र क्या है ? (१) मोह, राग, द्वेष का निर्मूल नाश करना (२) सम्पूर्ण दु:खों का क्षय कर देना (३) अट्ठाईस मूलगुणरूप चारित्र (४) मोहशत्रु पर प्रहार करना उत्तर:- अट्ठाईस मूलगुणरूप चारित्र
प्रश्न १७ :- पुण्य प्रकृति का फल क्या है ? (१) सिद्ध भगवान (२) अर्हंत भगवान (३) सच्चे गुरु (४) जिनवाणी उत्तर:- अर्हंत भगवान
प्रश्न १८:- श्रेणी किसे कहते हैं ? (१) क्रम-क्रम से त्याग मार्ग में बढ़ना (२) वीतराग दृष्टि का होना (३) सम्यग्दर्शन में दृढ़ता (४) विशुद्धि से वृद्धिंगत होते हुए परिणाम उत्तर:- विशुद्धि से वृद्धिंगत होते हुए परिणाम
प्रश्न १९:- चतुर्थ गुणस्थान में मनुष्यों के कितनी प्रकृतियों का बंध नहीं होता है ? (१) ४८ (२) ६३ (३) ४७ (४) ५६ उत्तर:- ४७
प्रश्न २० :- आचार्यश्री जिनसेन की रचनाओं में से एक (१) तत्त्वार्थवार्तिक (२) पार्श्वभ्युदय (३) लघीयस्त्रय (४) पुरुषार्थसिद्धि उपाय उत्तर:- पार्श्वभ्युदय
प्रश्न २१ :- भरत, ऐरावत व विदेह में म्लेच्छ खण्ड कुल कितने होते हैं ? (१) १७० (२) ३२ (३) ५ (४) ८५० उत्तर:- ८५०
प्रश्न २२ :- जो जीव ऐसा मानता है कि मैं परजीवों को जीवनदान देता हूँ और परजीव भी मेरी रक्षा करते हैं वह……है। (१) पुण्यात्मा (२) धर्मात्मा (३) मूढ़ (४) दानी उत्तर:- मूढ़
प्रश्न २३ :- आचार्यश्री गुणभद्राचार्य ने श्रेष्ठ रत्न और रत्नाकर की उपमा किसे दी है ? (१) माणिक और समुद्र को (२) कन्या और कन्या के माता-पिता को (३) श्रेष्ठ पुत्र और उसके माता-पिता को (४) इनमें से किसी को नहीं उत्तर:- कन्या और कन्या के माता-पिता को
प्रश्न २४ :- अघनधारा किसे कहते हैं ? (१) जिसका वर्ग न हो सके, ऐसी संख्या को (२) जिसमें घन होता है, ऐसी संख्या को (३) जिसमें घनरूप संख्या न पाई जावे (४) जिसमें समरूप संख्या पाई जावे उत्तर:- जिसमें घनरूप संख्या न पाई जावे
प्रश्न २५ :- सुमेरुपर्वत की ऊँचाई कितने योजन है ? (१) एक लाख ४० योजन (२) ९९००० योजन (३) ११००० योजन (४) ४९४ योजन उत्तर:- ९९००० योजन
प्रश्न २६ :- राजगृह नगर के पास स्थित पंचपहाड़ी में से दक्षिण दिशा में स्थित पर्वत का नाम बताइये ? (१) ऋषिगिरि (२) छिन्न (३) वैभार (४) पांडु उत्तर:- वैभार
प्रश्न २७ :- क्षायिक सम्यक्त्व का काल कितना है ? (१) छ्यासठ सागर (२) अनंत (३) अन्तर्मुहूर्त (४) इनमें से कोई नहीं उत्तर:- अनंत